अहमदाबाद : नवाचार पर जोर देने वाली ग्लोबल फार्मास्युटिकल कम्पनी जायडस कैडिला ने आज घोषित किया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने नई दवा सरोगलिटजर को भारत में नॉन सिरोटिक नॉन एल्कोहोलिक स्टेटोहैपेटाइटिस (नैश) के उपचार के लिए अनुमोदित कर दिया है। नैश लीवर की तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है जो लीवर में वसा जमने शुरू होती है और इसे नॉन एल्कोहोलिक फेटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति सिरोसिस और लीवर फेल्योर की तरफ ले जाती है। यह बहुत बड़ी चिकित्सकीय समस्या है, क्योंकि नैश के उपचार के लिए दुनिया में अभी कहीं कोई अनुमोदित दवाई नहीं है। यह ऐसा रोग है कि जिससे दुनिया में 10 से 30 प्रतिशत तक जनसंख्या पीड़ित है। भारत मे करीब 25 प्रतिशत लोग नैश से प्रभावित हैं। नैश को सिरोसिस और एल्कोहोलिक लीवर डिजीज के बाद सिरोसिस का बड़ा कारण माना जाता है। एडवांस्ड सिरोसिस और लीवर फेल्योर के बाद लीवर ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प बचता है।
इस बारे में जायडस ग्रुप के चेयरमैन श्री पंकज पटेल ने कहा, “हमें प्रसन्नता है कि नैश के रोगियों के लिए हम नई दवा की खोज कर सके, क्योंकि इसकी पूरी दुनिया में बहुत जरूरत थी। सरोगलिटजर भारत में नैश से पीड़ित लाखों रोगियों के लिए उम्मीद की जीवनदायी किरण साबित होगी।” सरोगलिटजर को भारत में सितम्बर 2013 में डायबिटिक डिसलिपिडिमिया और हाइपरट्रिगलीसेरिडिमिया के उन रोगियों के लिए जारी किया गया था जो टाइप 2 डायबिटीज के शिकार थे और जिनका सिर्फ स्टेटिन्स से उपचार नहीं हो रहा था। इस वर्ष जनवरी में सरोगलिटजर को टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के उपचार के लिए अनुमोदित किया गया। पिछले सात वर्ष में करीब दस लाख लोग इस दवा से लाभान्वित हुए हैं।
सरोगलिटजर में ड्युअल पीपीएआर एल्फा और गामा प्रोपर्टीज है जो कोमोरबिडिटीज (डिसलिपिडिमिया, हाइपरट्रिगलीसेरिडिमिया, डायबिटीज मेलिटस) को कम करता है और नैश का उपचार करता है। जायडस को एवीडेंसेज टू ट्रायल में सकारात्मक परिणाम मिले हैं। भारत में नैश के मरीजों में यह ट्रायल सरोगलिटजर 4 एमजी वर्सेज प्लेसिबो का तीसरे चरण का लीवर बायोप्सी ट्रायल है। ट्रायल में नैश के हिस्टोलॉजिकल इम्प्रूवमेंटस का मूल्यांकन किया गया। इसमें 52 सप्ताह के बाद लीवर बायोप्सी का इस्तेमाल किया गया और प्राथमिक व द्वितीयक एंडपॉइटंस सफलतापूर्वक प्राप्त किए गए।