आज पूरी दुनिया विश्व रक्तदाता दिवस मना रही है। जिसका उद्देश्य लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है। लेकिन, खून की कमी से अकेले भारत में ही हर साल लगभग 1.36 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। जो पूरी दुनिया में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हुई मौतों का 25.7 फीसदी है।
विश्व रक्तदाता दिवस मानव विज्ञान में नोबल पुरस्कार पाए वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद मनाया जाता है। इन्हें मानव रक्त का वर्गीकरण करने का श्रेय जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है।
इतना ही नहीं, नेशनल हेल्थ सर्विस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच साल में लगातार रक्तदाताओं की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पुरुष रक्तदाताओं में 24.8 और महिला रक्तदाताओं में 6 फीसद की कमी हुई है।
हर साल 1.20 करोड़ यूनिट खून की जरूरत
देश में हर साल लगभग 1.20 करोड़ यूनिट खून की जरूरत होती है। लेकिन, रक्तदाताओं से केवल 90 लाख यूनिट ही रक्त एकत्रित हो पाता है। जिससे हर साल 30 लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है।
यह है कम होते रक्तदान की वजह
देश में तेजी से कम होते रक्तदाताओं का कारण रक्तदान को लेकर फैलीं कई तरह की अफवाहें हैं। सर्वे के अनुसार, शाकाहारी लोग यह मानते हैं कि उनके शरीर में आयरन की कमी होती है इसलिए वह रक्तदान नहीं कर सकते जबकि कई शाकाहारी खानों में आयरन भरपूर होता है।
कई लोग यह मानते हैं कि शरीर पर टैटू बनवाने के बाद रक्तदान करना ठीक नहीं होता। जबकि मामला इसके ठीक उलट है। टैटू या पियर्सिंग करवाने के चार से पांच महीने बाद आसानी से रक्तदान किया जा सकता है।
रक्तदान के दौरान कोई भी दाता जितना रक्त दान करता है शरीर उसकी आपूर्ति 24 घंटों के अंदर कर लेती है।
अमर उजाला फाउंडेशन: 70 से अधिक शहरों में महादानियों का महामेला
अमर उजाला फाउंडेशन के आह्वान पर देश के 70 से अधिक शहरों में आज महादानियों का महामेला लग रहा है। आज आप रक्तदान कर किसी की जान बचा सकते हैं। अमर उजाला के प्रसार वाले राज्यों में आज अमर उजाला फाउंडेशन रक्तदान कैंप लग रहा है।
उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़ के कई शहरों में रक्तदान को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है।