आम सभा, भोपाल : सेन्टर फाॅर रिसर्च एण्ड इन्डस्ट्रीयल स्टाॅफ परफाॅरमेन्स (क्रिस्प) द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के जाने माने टाउन प्लानर एवं विख्यात वास्तु शास्त्र के ज्ञाता (वस्तु सलाहकार) सुयश कुलश्रेष्ठ जी ने इंटिरियर डिजायनिंग के विधार्थी एवं षिक्षकों को वास्तु शास्त्र सबंधी जानकारी दी एवं भवन निर्माण में इंटिरियर डिज़ायनिंग की उपयोगिता बताई।
वास्तु शास्त्र वास्तुकला की एक पारंपरिक हिंदू प्रणाली है जिसका शाब्दिक अर्थ “वास्तुकला का विज्ञान” है। ये भारतीय उपमहाद्वीप में पाए गए ग्रंथ हैं जो डिजाइन, लेआउट, माप, जमीन की तैयारी, अंतरिक्ष व्यवस्था और स्थानिक ज्यामिति के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं। वास्तु का अर्थ होता निवास स्थान, जहां हम रहते हैं। ये वास्तु शब्द धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। वास्तु शास्त्र की विद्या प्राचीनतम विद्याओं में से एक है। इसका सीधा संबंध दिशाओं और ऊर्जाओं से है। इसके अंतर्गत दिशाओं को आधार बनाकर आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं को सकारात्मक किया जाता है, जिससे वो मानव जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल सकें।
वास्तु स्थापत्य वेद से जनित है। स्थापत्य वेद अथर्ववेद का अंग है। ये सीधा हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है। जैसे सृष्टि का निर्माण पंचतत्व से हुआ है उसी तरह मानव शरीर का भी निर्माण पंचतत्व से हुआ है। ये ही पांचों तत्व हमारे जीवन को भी प्रभावित करते हैं। इसी तरह भवन निर्माण में भी भूखंड के आसपास की चीज़ों का महत्व होता है। इसी से पता चलता है भूखंड शुभ है या अशुभ है। घर किस दिशा में होना चाहिए, घर का दरवाज़ा किस दिशा में होना चाहिए, घर में रखी कौन सी वस्तु किस स्थान पर होनी चाहिए, ये सब वास्तु शास्त्र से ही पता चलता है। अगर किसी घर में वास्तु दोष पाया जाता है तो उसे सुधारने के लिए भी कई उपाय किए जाते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास हो।
मुकेश शर्मा, सीईओ, क्रिस्प ने कहा ” वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही कुछ गलत चीज़ों का प्रभाव हम पर पड़ने से हमें बचाता है। वास्तु शास्त्र हमें नकारात्मक ऊर्जाओं से दूर रखता है। ये सदियों पुराना निर्माण का विज्ञान है। इसमें वास्तुकला के सिद्धांत और दर्शन सम्मिलित हैं, जो किसी भी भवन निर्माण में महत्व रखते हैं। इनका प्रभाव मानव की जीवन शैली एवं रहन-सहन पर पड़ता है।”
वास्तु शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है, जिसकी वजह से हमारे ऊपर आने वाली विपदाओं से भी हमें छुटकारा मिल सकता है। इसलिए जब भी भवन निर्माण करना हो, दुकान खोलनी हो या इससे संबंधी कोई भी काम हो तो किसी वास्तुविद् से परामर्श ज़रूर लेना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा तो रहती ही है, साथ ही घर में बरकत बनी रहती है। क्रिस्प संस्थान समय समय पर इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन करता रहता है जिससे इंटिरियर डिजायनिंग के विधार्थीयों को मार्केट के विभिन्न स्त्रोतो की एवं ग्राहक की मांग के अनुसार तैयार किया जाता है।