नई दिल्ली
हाई कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति का दूसरे लोगों के सामने पत्नी के हाथों थप्पड़ खाना पति को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक महिला को लोगों की मौजूदगी में पति को थप्पड़ मारकर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप से बरी करते हुए यह बात कही।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा अगर किसी को थप्पड़ आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा लगता है तो उसे यह भी ध्यान में रखना होगा कि कथित अपराध में बर्ताव भी इस तरह का रहा हो कि वह एक साधारण विवेकशील व्यक्ति को सूइसाइड के लिए मजबूर कर दे। महज लोगों के सामने पति को थप्पड़ मारना सामान्य परिस्थितियों में आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा नहीं है।
अभियोजन के मुताबिक, दंपती की शादी 25 फरवरी 2015 को हुई थी। वे एक बच्ची के पैरंट्स भी बने। आपसी रिश्ते सही न होने के चलते महिला ने मई 2015 में पति का घर छोड़ दिया। 2 अगस्त को पति ने आत्महत्या करने की कोशिश की और अगले दिन उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। उसके बिस्तर के पास से पुलिस को एक सूइसाइड नोट मिला था, जिसके आधार पर महिला के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया।
ट्रायल कोर्ट ने महिला को इस अपराध का आरोपी मानते हुए कहा कि महिला ने 31 जुलाई, 2015 को पति को थप्पड़ मारा और 2 अगस्त को उसने सूइसाइड कर लिया। मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि पत्नी की इस हरकत की वजह से वह काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था।