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फिरोजाबाद में चाचा और भतीजे की जंग, यादव लैंड में किसकी होगी जीत?

कभी मुलायम सिंह की दो बाहें कहे जाने वाले शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव की भिड़ंत ने यादव लैंड फिरोजाबाद में इस सियासी लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया है. भले ही शिवपाल यादव के खिलाफ रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन यह लड़ाई रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव के सियासी वजूद की लड़ाई भी है. यादव परिवार में मुलायम सिंह और अखिलेश के बाद तीसरा बड़ा चेहरा कौन होगा? यह लड़ाई उसे भी तय करेगा.

सालों से पनप रही सियासी दुश्मनी के बाद अब यह भी तय हो जाएगा की यादव लैंड में असल सियासी जमीन किसकी है? क्या शिवपाल यादव सचमुच परिवार में बगावत कर बड़े नेता बनेंगे या फिर रामगोपाल यादव अखिलेश यादव के सहारे एक बार फिर किंगमेकर बने रहेंगे?

फिरोजाबाद अपनी चूड़ियों के लिए मशहूर है. फिरोजाबाद शीशे पर कारीगरी के लिए मशहूर है. फिरोजाबाद आलू की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन यादव परिवार के दो बड़े सियासतदानों के बीच असल मुद्दे कहीं खो गए हैं. बात चाहे आलू किसानों की हो, चाहे शीशे के कारीगरों की या फिर चूड़ी बनाने और बेचने वाले कामगारों और व्यापारियों की बातें सभी पार्टियां कर रही हैं, लेकिन सियासी बहस सिमटकर सिर्फ दो भाइयों के बीच वर्चस्व तक रह गई है.

जीत के गुणा भाग और सियासी समीकरण से रामगोपाल यादव आश्वस्त हैं कि जब मोदी लहर में उनका बेटा जीत गया तो इस बार तो बहुजन समाज पार्टी के वोट तो उन्हें बड़ी जीत दिलाएंगे. वहीं, अक्षय यादव इस बार चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि शिवपाल यादव 50 हजार वोटों में सिमट जाएंगे और उनकी लड़ाई बीजेपी से होगी.

अक्षय यादव ने कहा कि पिछली बार मोदी लहर में हमें साढे पांच लाख वोट मिले थे और आज तो बहुजन समाज पार्टी और आरएलडी का गठबंधन है तो इस बार हम साढ़े सात लाख के आसपास वोट मिलेग. शिवपाल जी चुनाव जरूर लड़ रहे हैं लेकिन वह बीजेपी के बी टीम की तरह चुनाव लड़ रहे हैं.

चाचा पर निशाना साधते हुए अक्षय यादव ने कहा कि शिवपाल जी की छवि लूटने की वाले की है, कब्जा करने वालों की छवि है, आपराधिक लोगों की छवि है. हो सकता है हमारे चाचा तीसरे या चौथे नंबर पर चले जाएं, शिवपाल यादव के लिए बीजेपी ने अपना डमी कैंडिडेट लड़ाया है. यह यादव वोट बैंक की लड़ाई नहीं है. यह समाजवादी पार्टी की लड़ाई है, जब समाजवादी पार्टी मैदान में है तो फिर और कुछ नहीं बचता.

अक्षय पिछली बार भी इसी सीट से जीते थे, लेकिन इस बार चाचा शिवपाल की मौजूदगी ने इस लड़ाई को परिवार की सियासी वर्चस्व की लड़ाई में बदल दिया है. अब देखना है कि फिरोजाबाद सीट से चाचा जीतेगा या भतीजा?

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