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मजदूरों की पीड़ा कब समझेंगी सरकारें : कांग्रेस नेता मुनव्वर कौसर

आम सभा, भोपाल। म.प्र. कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता मुनव्वर कौसर ने सभी सरकारों से ये आग्रह किया है कि भारत के अलग-अलग प्रांतों में अपने-अपने निजी घरों की ओर जो मजदूर पैदल चल रहे हैं। उनकी कोई भी सुध लेने वाला नहीं है। अचानक हुए लॉकडाउन से तमाम उद्योग व्यापार बंद हो गए, करोंड़ों मजदूर बेरोजगार हुए और कई जगहों पर तो लॉकडाउन के एक महीने बाद भूख से बिलखते रहे । सूत्रों के अनुसार कई मजदूरों ने तो भूख के कारण अपने परिवार सहित आत्महत्या कर ली है, लेकिन उनका कोई भी दर्द समझने वाला नहीं है।

उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए किसी तरह की यातायात व्यवस्था केंद्र व राज्य सरकारों ने नहीं की, मजबूर बेबस होकर जब उनके पास खाने-पीने का सामान खत्म हो गया और सामान खरीदने के पैसे तक नहीं बचे तो मजबूरन पैदल ही चल पड़े, रास्ते में कई मजदूर ट्रेन दुर्घटना, वाहन दुर्घटना में मरे और कई भूख से मर गए।लॉकडाउन के समय से पूरे देश में अलग-अलग राज्यों के लाखों लोग फंसे हुए हैं और वे अपने परिवार से मिलने के लिए ललक रहे हैं। उनके पास भी पैसा खत्म हो गया है, खाने के लाले पड़ रहे है। भला हो समाजसेवियों का जो समय-समय पर लोगों को भोजन उपलब्ध कराते रहते हैं और मदद कर रहे हैं। इनकी वजह से कुछ लोगों को भूख से राहत मिली है।

मैं देश के प्रधानमंत्री, भारत के संपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों से निवेदन करता हूं कि मजदूरों के बारे में और जो लोग फंसे बैठे हैं उन्हें अपने-अपने गांव और निवास तक पहुंचवाने की व्यवस्था करें। वे जिंदा हैं तो दो हजार रुपए खर्च करके उन्हें अपने घर पहुंचा दें। मरने के बाद अगर सरकारों ने पांच-दस लाख रूपए दे भी दिए तो वे किस काम के।

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