उच्चतम न्यायालय लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों के बेतरतीब मिलान की संख्या बढ़ाने की 21 विपक्षी दलों के नेताओं की मांग वाली पुनर्विचार याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर शुक्रवार को सहमत हो गया है।
न्यायालय ने आठ अप्रैल को चुनाव आयोग को सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक से लेकर पांच मतदान केंद्रों पर ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों के बेतरतीब मिलान की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं ने उच्चतम न्यायालय के आदेश की समीक्षा की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘एक से पांच तक (मतदान केंद्र) बढ़ाना एक उचित संख्या नहीं है और अदालत के इस फैसले से वांछित संतुष्टि नहीं होती है।’ याचिका में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ से तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मुन सिंघवी ने पीठ से कहा कि पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाए। पीठ ने सिंघवी की दलील स्वीकार करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।
25 अप्रैल को चंद्रबाबू नायडू समेत 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर वीवीपैट और ईवीएम के मिलान को पांच गुना बढ़ाने के आदेश में बदलाव करने की गुहार लगाई थी।
8 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव की सभी संसदीय सीट के हर विधानसभा क्षेत्र में एक नहीं, बल्कि पांच वीवीपैट की पर्चियों का ईवीएम से औचक मिलान का निर्देश दिया था। नायडू के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने मांग की है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक सीट से कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों की जांच की जानी चाहिए।
पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के तीन चरणों के मतदान में ईवीएम और वीवीपीपैट की पर्चियों में मिलान न होने की खबर आई है। लिहाजा आठ अप्रैल के आदेश पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ईवीएम के जरिए पड़ने वाले कुल वोटों में से 50 फीसदी का मिलान वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों से कराई जाए।