कोलकाता। देश में दूसरे नंबर की टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल और तीसरे नंबर पर मौजूद रिलायंस जियो इंफोकॉम साल 2019 के अंत तक रेवेन्यू मार्केट शेयर (RMS) के लिहाज से वोडाफोन आइडिया से आगे निकल सकती हैं। एनालिस्ट्स और इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा इन दोनों कंपनियों के बेहतर 4जी नेटवर्क के कारण हो सकता है। उनका कहना है कि विलय से बनी वोडाफोन आइडिया का मुख्य जोर अभी दो कंपनियों के संसाधनों और नेटर्वक्स का तालमेल बेहतर बनाने पर रह सकता है।
उन्होंने कहा कि आगामी साल में इस इंडस्ट्री का ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रॉफिटेबल कस्टमर्स को अपने साथ जोड़ने की होड़ और चुनावी साल में डेटा का ज्यादा इस्तेमाल होने की संभावना से मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 2019 में टेलीकॉम कंपनियों के लिए प्राइसिंग के मामले में स्टेबिलिटी आ सकती है क्योंकि 27.5 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स और लगभग 27 प्रतिशत RMS हासिल कर चुकी जियो के अब पिछले दो साल की तरह कस्टमर्स को लुभाने की संभावना कम है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने हालांकि 2019 में भी कॉम्पिटीशन ज्यादा होने और ARPU पर दबाव की आशंका जताई है।
फिच रेटिंग्स के डायरेक्टर (कॉरपोरेट्स) नितिन सोनी ने कहा, ‘साल 2019 के अंत तक एयरटेल और जियो के पास करीब 33 प्रतिशत RMS हो सकता है जबकि वोडाफोन आइडिया का RMS 30 प्रतिशत के नीचे रह सकता है, जो अभी 33 प्रतिशत के आसपास है। इसकी वजह यह है कि वोडाफोन आइडिया के सामने नेटवर्क इंटीग्रेशन की चुनौती आ सकती है और वह हो सकता है कि जियो या एयरटेल के लेवल पर 4जी सेवाएं न दे पाए।’
सितंबर अंत तक के टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, एयरटेल का RMS पिछले क्वॉर्टर से 0.75 प्रतिशत कम होकर 30.9 प्रतिशत (34.35 करोड़ यूजर) था, जबकि जियो का RMS 3.75 प्रतिशत बढ़कर 26.1 प्रतिशत (25.2 करोड़ यूजर) था। वोडाफोन आइडिया यानी वीआईएल का RMS 1.90 प्रतिशत गिरकर 32.8 प्रतिशत (43.75 करोड़ यूजर) था। एनालिस्ट्स ने कहा कि यह ट्रेंड दिसंबर क्वॉर्टर में भी बना रहा होगा।
सोनी ने कहा, ‘अगला साल वीआईएल के लिए मुश्किल होगा क्योंकि उसका कैश फ्लो शायद इतना न हो कि वह 4जी के लिए कैपेक्स पर जियो या एयरटेल की बराबरी कर पाए।’
वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के विलय से अगस्त में बनी वीआईएल की योजना इक्विटी के जरिए और फाइबर एसेट्स बेचकर 25000 करोड़ रुपये जुटाने की है ताकि प्रतिस्पर्द्धा में आगे बढ़ा जा सके। हालांकि एनालिस्ट्स ने कहा कि इतनी रकम शायद नाकाफी साबित हो।
वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और जियो को भेजे गए ईटी के सवालों के जवाब नहीं मिले। सितंबर 2016 में अपनी एंट्री के साथ जियो ने प्राइसिंग पर जो रुख अपनाया, उसके चलते कई छोटी कंपनियां मैदान से बाहर हो गईं और वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर को विलय का रास्ता पकड़ना पड़ा। जियो के रुख के कारण इन कंपनियों की आमदनी और मुनाफे पर चपत लगी है। हालांकि एक्सपर्ट्स ने कहा कि जियो एक बड़े स्तर पर पहुंच गई है और मार्केट में अब तीन प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां ही बची हैं, लिहाजा 2019 में प्राइसिंग के मामले में स्टेबिलिटी दिखेगी, जिसके संकेत 2018 की दूसरी छमाही में दिखने लगे थे।
आईआईएफएल के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (मार्केट एंड कॉरपोरेट अफेयर्स) संजीव भसीन ने कहा कि उन्हें 2019 में ‘प्राइसिंग पावर की वापसी होती दिख रही है’ क्योंकि ‘जियो का फोकस आमदनी पर ज्यादा हो गया है’ और वह उसी तरह कस्टमर्स को शायद ही अपनी ओर खींचना चाहेगी, जैसा कि पिछले दो साल से करती आ रही थी।
आईआईएफएल के टेलीकॉम एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि 2019 का आम चुनाव डेटा कंजम्पशन बढ़ाएगा और कई आम फीचर फोन यूजर इसकी वजह से 4जी पर शिफ्ट होंगे, जिससे ARPU में बढ़ोतरी होगी और इस तरह साल दर साल आधार पर आमदनी बढ़ेगी।
एनालिस्ट्स को उम्मीद है कि पूरी इंडस्ट्री के लेवल पर डेटा ट्रैफिक 2019 में पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत बढ़ेगा, जिसे काफी हद तक 4जी कवरेज में इजाफे से भी मदद मिलेगी।
फिच रेटिंग्स के सोनी ने कहा कि उन्हें साल दर साल आधार पर अगले 12 महीनों में इंडस्ट्री की ARPU ग्रोथ 5-10 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो अभी 100-150 रुपये के लेवल पर है।