अपने दौरे के पहले दिन रक्षा मंत्री सीतारमण ने अपने समकक्ष फ्रांस की रक्षा मंत्री फ़्लोरेंस पार्ली से मुलाक़ात की. समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ दोनों देशों के बीच सामरिक और रक्षा सहयोग को मज़बूत करने के तरीक़ों पर व्यापाक चर्चा हुई है.
एक बात और सामने आ रही है कि वो अपनी यात्रा के दौरान दासौ एविएशन के मुख्यालय भी जाएंगी.
ये चकित करने वाली बात है कि जब आप किसी रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करते हैं और वो सौदा निजी कंपनियों के बीच होता है तो फिर एक रक्षा मंत्री को कंपनी के मुख्यालय जाने की ज़रूरत क्या है.
रफ़ाल डील सरकारों के बीच नहीं की गई है, ये बात हमें समझनी होगी. भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का दासौ एविएशन के मुख्यालय जाना कोई सामान्य बात नहीं है.
गुरुवार को नई दिल्ली में राहुल गांधी भी आरोप लगा चुके हैं कि दासौ कंपनी को भारत से एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ है और वो वही बोलेगी जो भारत सरकार उसे बोलने के लिए कहेगी.
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या निर्मला सीतारमण सच में मामले की लीपापोती करने के लिए फ्रांस पहुंची हैं.
निर्मला के पहुंचने और फ्रांसीसी न्यूज़ वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ के दावे के बाद गुरुवार को दासौ एविएशन ने अपनी सफाई पेश की. कंपनी का कहना है कि उसने रिलायंस का चयन ‘स्वतंत्र’ रूप से किया है.
‘मीडियापार्ट’ ने अपनी एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया है कि रफ़ाल बनाने वाली कंपनी दासौ एविएशन के नंबर दो अधिकारी लोइक सेलगन ने अपने 11 मई 2017 के एक प्रेजेंटेशन में अपने कर्मियों से कहा था कि रिलायंस के साथ उनका ज्वाइंट वेंचर सौदे के लिए “अनिवार्य और बाध्यकारी” था.
निर्मला की यात्रा कितनी अहम?
निर्मला सीततारमण की यात्रा को फ्रांस की मीडिया में बहुत ज़्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है. यहां की मीडिया थोड़ी राष्ट्रवादी है और वो नहीं चाहती कि उनके देश की कंपनी को किसी तरह का नुक़सान हो.
जिस तरह का शोर भारतीय मीडिया में रफ़ाल को लेकर है, यहां बहुत कुछ ऐसा नहीं दिख रहा है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस वक्त देश में नहीं है. ऐसे में यह प्रतीत हो रहा है कि फ्रांस की सरकार की तरफ से भी यात्रा को बहुत ज़्यादा अहमियत नहीं दी जा रही है.
भारत में निर्मला सीतरमण की यात्रा पर सवाल उठ रहे हैं. गुरुवार को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री की फ्रांस यात्रा पर सवाल उठाए और कहा, “भारतीय रक्षा मंत्री फ्रांस जा रही हैं, इससे अधिक स्पष्ट संदेश क्या हो सकता है?”
यात्रा में जल्दबाज़ी हुई क्या ?
रफ़ाल पर विवाद तब बढ़ा जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान और फ्रांस की खोजी वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ ने यह दावा किया कि भारत की कंपनी रिलायंस से साझेदारी, डील की शर्त थी.
फ्रांस में सरकारी स्तर पर भी कुछ ऐसा नहीं लग रहा है कि रक्षा मंत्री की यात्रा की तैयारी को लेकर पहले से बहुत तैयारी की गई है.
रक्षा मंत्रालय के लोगों से यह पता चल रहा है कि इस तरह की यात्रा की तैयारी पहले से होती है, लेकिन भारतीय रक्षा मंत्री की यात्रा में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है.
भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का यहां आना, ऐसा लगता है जैसे कि उनकी यात्रा जल्दबाजी में बनी हो.