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उत्तराखंड में आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया, माँ -बाप से नहीं छिपा पाएंगे Live-in के रिश्ते

देहरादून

उत्तराखंड में आज से बहुचर्चित कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू हो रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री ने रविवार को कहा था कि हम सोमवार यानी 27 जनवरी से UCC के नियमों को लागू करने जा रहे हैं. उत्तराखंड में UCC के नियम लागू होने के साथ ही ये राज्य देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है. UCC के लागू होते ही कई सारी चीजें आज से ही बदलने जा रही हैं. राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया है. यूसीसी का एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया जाएगा. आपको बता दें कि यूसीसी के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी. लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी. इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई थी. बीते दिनों कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली पर अपनी सहमति जताई थी.

उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा.  यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता लागू होते ही उत्तराखंड में शादी, रिलेशनशिप, संपत्ति, बहुविवाह जैसी कई चीजें पहले जैसी नहीं रहेंगी. इस कानून के लागू होने से शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा. इस राज्य में सभी धर्मों के लिए तलाक का कानून एक जैसा होगा. इसके साथ ही बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथा बंद हो जाएगी.

आइए जानते हैं कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से क्या क्या बदल जाएगा.

6 महीने के अंदर शादी का रजिस्ट्रेशन

1- यूसीसी के लागू होते ही सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा. लोगों को अपने विवाह को ऑनलाइन पंजीकृत करने में मदद करने के लिए सुविधाएं बनाई गई हैं ताकि उन्हें इसके लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें. इसके लिए कट ऑफ 27 मार्च 2010 रखा गया है. यानी इस दिन से हुए सभी विवाह का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. विवाह का पंजीकरण 6 महीने के भीतर कराना अनिवार्य होगा.

 लिन-इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

2-यूनिफॉर्म सिविल कोड में लिन-इन रिलेशन में रहने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी. इन रिश्ते में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रार के सामने संबंध की घोषणा करनी होगी. अगर वे संबंध खत्म करना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी रजिस्ट्रार को देनी होगी. लिव- इन से पैदा हुए बच्चे को वैध माना जाएगा. लिव इन रिलेशन टूटने पर महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकेगी. बिना सूचना दिए एक महीने से ज्यादा लिव इन में रहने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा, ये जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएंगी.

बेटा-बेटी संपत्ति में बराबर के हकदार

3-संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया जाएगा, अर्थात प्राकृतिक संबंधों के आधार पर जन्मे, सहायक विधियों द्वारा जन्मे या लिव इन आदि संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा. इस कानून के अंतर्गत सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं.

माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकार

4-किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात उसकी संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच किसी प्रकार के मतभेद की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए मृतक की सम्पत्ति पर उसकी पत्नी, बच्चों एवं माता पिता को समान अधिकार प्रदान किया गया है.

हलाला-बहुविवाह पर रोक

5-उत्तराखंड में लागू हुए यूसीसी में इस्लाम में प्रचलित हलाला प्रथा पर रोक लगा दी गई है.इसके अलावा बहुविवाह पर भी रोक लगा दी गई है.

18 साल से पहले शादी नहीं, मुस्लिम भी दायरे में

6- सभी धर्म के लोग अपने-अपने रीति रिवाजों के अनुसार विवाह कर सकते हैं, लेकिन सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष अनिवार्य कर दी गई है. अब मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी 18 वर्ष की आयु से पहले नहीं हो सकेगा.

पूरी संपत्ति की वसीयत की छूट

7-समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है. समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के लिए वसीयत के अलग अलग नियम थे. अब ये नियम सभी के लिए समान होंगे.

शादी के साथ-साथ तलाक का भी रजिस्ट्रेशन

8-इस कानून के माध्यम से जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा. ये पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा.

दूसरे धर्म के बच्चे को नहीं ले सकेंगे गोद

9-यूसीसी के तहत सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार होगा. हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा.

UCC के दायरे अनुसूचित जनजातियां बाहर

10-संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे कि उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके. इसके अलावा ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.

उत्तराखंड में यूसीसी से क्या क्या बदलाव होगा ये भी जान लीजिए…

    सभी धर्म समुदायों में विवाह तलाक,गुजारा भत्ता और विरासत के लिए समान कानून अब होंगे शादियों का रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य होगा .

    विवाह के छह महीने के भीतर पंजीकरण कराना जरूरी होगा. 26 मार्च 2010 से पहले की शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं होगा.पंजीकरण न कराने पर अधिकतम पच्चीस हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. पंजीकरण नहीं कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

    महिलाओं को भी पुरुषों के समान तलाक का अधिकार होगा. संपत्ति में बेटा बेटी को बराबर का अधिकार मिलेगा जायज और नाजायज बच्चों में भी कोई भेद नहीं होगा.

    किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय के शख्स के लिए तलाक का एक समान कानून लागू होगा. फिलहाल देश में हर धर्म के हिसाब इन मामलों का निपटारा किया जाता है.

    अब से उत्तराखंड में बुहविवाह पर रोक लगेगी. लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति या धर्म की हों, एक समान होगी. लड़कियों की शादी की 18 साल का होना जरूरी है.

    UCC के लागू होने के उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद होने जा रही है. साथ ही उत्तराधिकार के लिए अब से लड़कियों को लड़कों के बराबर ही माना जाएगा.

    लिव इन रिलेशनशिप का रिजस्ट्रेशन कराना कपल के लिए अनिवार्य होगा. अगर कोई कपल 18 से 21 साल के बीच के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने माता-पिता का सहमति पत्र भी देना होगा.

    यूसीसी के नियम और कानून से शेड्यूल ट्राइब को पूरी तरह से बाहर रखा गया है. इसके अलावा ट्रांसजेंडर और धार्मिक मामलों जैसे कि पूजा नियम व परंपराओं से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है.

सीएम धामी ने कहा कि इसे लेकर सभी तैयारियां पूरी कर लगी गई हैं

उत्तराखंड में यूसीसी के नियम को लागू करने को लेकर सीएम धामी ने शनिवार की शाम एक बयान जारी किया था. उन्होंने कहा था कि यूसीसी लागू करने के लिए सभी तरह की आवश्यक तैयारियों को पूरा कर लिया गया है. उन्होंने कहा था कि इसके लागू होने से समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित होंगे.

विधानसभा चुनाव में था अहम मुद्दा

उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने का वादा भारतीय जनता पार्टी ने 2022 में हुए चुनाव में किया था. जब सत्ता में दोबारा भाजपा की वापसी हुई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी. साथ ही इसका मसौदा भी तैयार करने के लिए कहा गया था. इसके लिए बकायदा विशेषज्ञों की समिति भी बनाई गई थी.

 

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