नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit Patel) मंगलवार को संसद की स्टैंडिंग कमेटी (स्थायी समिति) के समक्ष पेश हुए और नोटबंदी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की स्थिति समेत अन्य मसलों पर संसदीय समिती को जानकारी दी. संसदीय समिति (Parliamentary Panel) ने कई अहम और संवेदनशील मसलों पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल से सवाल पूछे, मगर उर्जित पटेल ने कुछ मसलों पर अपनी राय रखी. हालांकि, कई मसलों पर वह बोलने से बचे. सूत्रों ने कहा कि इस दौरान आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी को लेकर कहा कि नोटबंदी का प्रभाव क्षणिक (अस्थाई) था. बता दें कि इससे पहले भी उर्जित पटेल संसदीय समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं.
मुख्य तौर पर आरबीआई गवर्नर से चार अहम और संवेदनशील मसलों पर सांसदों ने सवाल पूछे:
1. आरबीआई में सुधार के प्रस्तावों पर और सरकार के साथ चल रहे तनाव के मसले पर
2. नोटबंदी से जुड़े सवाल
3. एनपीए से जुड़े सवाल
4. अर्थव्यवस्था से जुड़े हालात और चुनौतियों पर
दरअसल, सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि ऐसे सभी संवेदनशील और मुश्किल सवालों पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल कुछ भी ज्यादा बोलने से बचे. सांसदों ने कई सवाल किए, मगर उन्होंने सावधानी से जवाब दिया और किसी भी विवादित बयान से बचे रहे. सूत्रों के मुताबिक, कई अहम और संवेदनशील मसलों पर सांसदों के सवाल के जवाब में गवर्नर उर्जित ने आश्वासन दिया कि अगले 10 से 15 दिनों के अंदर उनके सवालों के जवाब लिखित में संसदीय समिति को भेज देंगे.
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आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कमेटी को सूचित किया कि नोटबंदी का प्रभाव क्षणिक था. हालांकि, उन्होंने किसी भी क्षेत्र के लिए क्रेडिट मानदंडों को राहत देने के बारे में बात नहीं की. इतना ही नहीं, सरकार के साथ चल रहे मतभेद के मसले के केंद्र में रहे RBI के सेक्शन 7 पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कुछ भी नहीं बोला.
सूत्रों के अनुसार हालांकि उन्होंने आरबीआई कानून की धारा 7 के उपयोग, फंसे कर्ज, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और अन्य जटिल मुद्दों पर कुछ नहीं कहा. आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हुए हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है.
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पैनल में बैठे सांसदों ने गवर्नर उर्जित से आरबीआई से जुड़े सभी चुनौतियों और विवादास्पद मुद्दों पर कई सवाल पूछे. हालांकि, उन्होंने सांसदों को आश्वासन दिया कि वह अगले 10 से 15 दिनों के भीतर लिखित में जवाब देंगे. बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं.