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इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर भोपाल चैप्टर का इस वर्ष का मास्टर फोरम आयोजित

आम सभा, भोपाल : इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर (आईआईडी) के भोपाल चैप्टर के 8वें स्थापना दिवस समारोह के तहत रविवार को वर्ष 2020 का मास्टर फोरम का आयोजन किया गया। होटल कोर्टयार्ड बाय मैरियट में आयोजित इस फोरम में इटेलियन आर्किटेक्ट रोमानो मस्ट्रेला मुख्य रूप से उपस्थित हुए। इस दौरान रोमानों ने अब तक किए गए अपने कामों का प्रेजेंटेशन दिया और नए डिजाइनर्स को इनोवेशन और क्रिएटिविटी की जानकारी दी। एक दिवसीय इस फोरम में बड़ी संख्या में मेनिट, एसपीए, आईएनआईएफडी के स्टूडेंट्स सहित ट्रिपल आईडी के 100 मेंबर्स शामिल हुए। गौरतलब है कि ट्रिपल आईडी के देशभर में 10 हजार मेंबर है और 32 सेंटर है। कार्यक्रम में भोपाल चैप्टर के चेयरमैन मनोज चौबे, सचिव ऋषि साहू, पूर्व चेयरमैन मयूरी सक्सेना, चेयरमैन इलेक्ट रविशा मर्चेंट उपथित रही।

सब कुछ है हमारे पास

इस अवसर पर ट्रिपल आईडी के भोपाल चेयरमैन मनोज चौबे ने कहा कि भारत के डिजाइनर्स के पास बहुत कुछ है जैसे- हमारी विरासत, सभ्यता, हमारा देश बहुत सम्रद्ध है। जरूरत है कि बस हम बेहतर ढंग से उसे डिजाइन करे। उन्होंने कहा कि अच्छे आर्किटेक्ट की असली पहचान उसका डिजाइन होता है। जो हर जगह जाकर वहां की पहले विरासत देखे उसे समझे उसके बाद उसका डिजाइन तैयार करे। मनोज चौबे ने लेटेस्ट ट्रेंड ऑफ इंटीरियर डिजाइनिंग के बारे में बताया कि अब समय बदल गया है। पहले हम डिजाइन बाहर के देशों को देख कर उसे कॉपी करते थे, लेकिन अब ऐसा नही है। अब लोग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध निर्माण समाग्री, निर्माण तकनीकों का तथा डिजाइन में भी स्थानीय तौर पर उपलब्ध पुराने स्मारक और धरोहर है उन्हीं की डिजाइन का उपयोग करते है बजाय कि बाहर की टेक्नोलॉजी और डिजाइन के उपयोग करने के।

जरूरत से ज्यादा गूगल की मदद न ले

कार्यक्रम में उपस्थित रोमानों ने कहा कि आज का युवा बहुत स्मार्ट है। वो टेक्नोलॉजी का उपयोग बहुत तेजी से करना जनता है। लेकिन में एक बात कहना चाहता हूं की वो जरूरत से अधिक टेक्नोलॉजी का उपयोग न करे। जैसे – कोई भी डिजाइन गूगल से कॉपी करने के बजाय उसे कागज पर खुद से तैयार करे। जितना अधिक काम कागज पर करेंगे आप उतने बेहतर डिजाइनर बनेंगे। उन्होंने कहा कि भारत का क्लीइमेंट अलग और अमेरिका का अलग। हर जगह के हिसाब से क्लाइमेट और कंस्ट्रक्शन स्टाइल बदल जाता है। भारत के पास हजारों साल पुरानी विरासत है। अलग-अलग जगह की स्थितियों को समझकर डिजाइन तैयार किए जाते है।

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