आम सभा, भोपाल : इस बार नवरात्रि का प्रारंभ 7 अक्टूबर, गुरुवार से हो रहा है, और इनका समापन 14 अक्टूबर, दिन गुरुवार को होगा। इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन हो जाने के कारण एसा हो रहा है.
इन दिनों में हर कोई अपनी-अपनी रूचि के अनुसार माता की आराधना करता है और सभी का उद्देश्य केवल एक होता है माता की कृपा प्राप्त करना।
कोई इन दिनों में उपवास रखतें है तो कोई इन दिनों में तक चप्पल नहीं पहनते।
यदि इस नवरात्रि में आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अपनी राशि के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करें। इससे आपको माता की विशेष कृपा तो प्राप्त होगी ही साथ ही आपकी हर बाधा भी सरल हो जाएगी।
मेष-
मेष राशि के लोगों को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए।
दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
स्कंदमाता करुणामयी हैं, जो वात्सल्यता का भाव रखती हैं।
जो मेष राशि वालों को सफलता वरदान देंगी और उनकी बाधा हारेंगी l
वृषभ-
वृषभ राशि के लोगों को महागौरी स्वरूप की उपासना से विशेष फल प्राप्त होंगे। वृषभ राशि वाले ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। जो जन-कल्याणकारी भी है। इसके पाठ से अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
मिथुन-
मिथुन राशि के लोगों को महादेवी यंत्र स्थापित कर ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करें।
मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता व विद्या के अवरोध दूर करती हैं।
और माता का आशीष सदा बना रहता है l
कर्क-
कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए।
साथ में लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। भगवती की वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती हैं। इस समय साधना करने से धन भंडार भरे रहतें हैं और व्यपार-नोकरी आदि में सफलता मिलती है l
सिंह-
सिंह राशि के लिए मां कूष्मांडा की साधना करनी चाहिये।
इन दिनों में दुर्गा मंत्रों का जप करें। ऐसा माना जाता है कि देवी मां के हास्य मात्र से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। देवी बलि प्रिया हैं, अत: साधक नवरात्र की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानी बुराइयों का बलिदान देवी के चरणों में अर्पित करें। माता का आशीष बना रहेगा l
कन्या-
इन दिनों कन्या राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए। और इन दिनों में माँ लक्ष्मी मंत्रों का साविधि जप करना चाहिए । इस समय माता ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं।
विद्यार्थियों के लिए इन दिनों में देवी की साधना अति फलदाई है।
तुला-
तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा-आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इन दिनों में काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। जो इनके लिए कल्याणकारी होगा। साथ ही अविवाहित कन्याओं को इस आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक-
वृश्चिक राशि के लोगों को स्कंदमाता की उपासना श्रेष्ठ फल प्रदान करेगी ।
एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। जिससे इनको धन,संतान और पारिवारिक सुख प्राप्त होगा l और माता को आशीष बना रहेगा l
धनु-
धनु राशि वालों मां चंद्रघंटा की उपासना करना चाहिए। माता के मंत्रों का यथा शक्ति के अनुष्ठान करें। घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है। इस समय इनकी साधना करने से किसी भी प्रकार के शत्रु से मुक्ति मिलती है l
मकर-
मकर राशि के लोगों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
इन दिनों में नर्वाण मंत्र का जप करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं एवं शत्रु का संहारक भी करती है। इन दिनों में इनकी साधना विशेष फल देगी l
कुंभ-
कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना विशेष लाभदायई है।
इन दिनों में देवी कवच का पाठ करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोपों से बचाव करती हैं।
मीन-
मीन राशि के लोगों को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
हरिद्रा (हल्दी) की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जप करें।
चन्द्रघंटा उस ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है। इन दिनों में माता की साधना अत्यन्त लाभकारी रहेगी.