बिहार की राजधानी पटना की पटना साहिब सीट पर 2009 और 2014 का चुनाव आराम से जीते फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के लिए इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं। उनकी पार्टी बदल चुकी और चुनाव चिह्न भी। कभी भाजपा के लिए सीट निकालने वाले शत्रुघ्न इस बार कांग्रेस का हाथ थामकर मैदान में हैं। उनका मुकाबला है भाजपा के राज्यसभा सांसद व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से। राज्य की यह इकलौती सीट है जहां दोनों प्रमुख दलों ने कायस्थ उम्मीदवार को टिकट दिया है।
सीट पर कायस्थों की आबादी करीब 7 फीसदी है। शत्रुघ्न के पास स्टारडम है तो रविशंकर के पास ब्रांड मोदी और भाजपा का संगठन है। शत्रुघ्न का मिलने-जुलने का सिलसिला दोपहर बाद शुरू होता है और देर रात तक चलता है । सुबह प्राणायाम, व्यायाम, योग, ध्यान, अखबार पढ़ने के बाद नाश्ता कर प्रचार पर निकलते हैं।
भाजपा छोड़ने पर कहते हैं- सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं। कहते हैं- भाजपा के पास धनशक्ति है, हमारे पास जनशक्ति है। भाजपा इसे सेफ सीट मानती तो मेरे अनुज रविशंकर को क्यों उतारती। हम दोनों शालीनता से चुनाव लड़ रहे हैं। लड़ाई विचारधारा की है। मैं ऊपर वाले के अलावा किसी का भक्त नहीं हो सकता।
शत्रुघ्न के ‘खामोश’ डायलॉग की काट भाजपा के नारे ‘पटना अब खामोश नहीं रहेगा’ पर शत्रुघ्न ठहाका लगाते हैं, कहते हैं- खामोश! अन्याय का प्रतिकार है? गलत को गलत कहने की हिम्मत होनी चाहिए। हमने स्तुतिगान नहीं किया। मुझे खामोश करने की कोशिश हुई। लेकिन जिसके पास जनता का आशीर्वाद हो,उसे खामोश कौन कर सकता है। ढाबे की चाय के शौकीन रविशंकर प्रसाद का रूटीन शत्रुघ्न सिन्हा से बिल्कुल अलग है। शत्रुघ्न का जब तक मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू होता है तब तक रविशंकर आधा जनसंपर्क का आधा कर चुके होते हैं।
सिलसिला मॉर्निंग वॉक से शुरू होता है। फिर कहीं चाय और घर लौटकर स्नान-ध्यान। हल्का नाश्ता फिर कार्यकर्ताओं से भेंट। भाजपा की ओर से 8 राज्यों के प्रभारी रहे रविशंकर 25 साल से लोगों को चुनाव लड़ा रहे हैं। अब पहली बार खुद चुनावी मैदान में हैं। रविशंकर कहते हैं- पार्टी छोड़कर कोई बड़ा नहीं होता। रविशंकर का बचपन पीरमुहानी की गलियों में गुजरा है। वे शिव प्रसाद बाबू के उस घर भी गए, जहां उनका जन्म हुआ था। पुराने दोस्तों से रविशंकर ठेठ मगही में बात करते हैं- अपन महल्ला में की बोलूं। हाफ पैंट पहनकर टहलता था। यहां वोट नहीं आशीर्वाद मांगने आया हूं।
सभाओं में राष्ट्रवाद, आतंकवाद पर बातें करते हैं। आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना, बिजली का जिक्र करते हैं। पटना साहिब में महागठबंधन और भाजपा दोनों को ही आधार मतों में सेंधमारी का खतरा है। महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी ने यहां रीता देवी को उतार दिया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा के समर्थकों की नाराजगी सार्वजनिक हो चुकी है। क्षेत्र के छह में से पांच विधायक भाजपा के हैं। एक सीट राजद के पास है। शत्रुघ्न सिन्हा को 55% वोट मिले थे। इस बार जदयू भाजपा के साथ है। यह मत प्रतिशत हासिल करना रविशंकर के लिए चुनौती है।
क्यों है हॉट सीट
- शत्रुघ्न के दावे : हमने एम्स दिया, गायघाट में अंतर्देशीय जल परिवहन, हीमोफीलिया अस्पताल आदि दिया। सांसद निधि का पाई-पाई ही खर्च नहीं किया- हेमामालिनी और रेखा जी से भी फंड मांग कर यहां काम करवाया। लड़ाई सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की है।
- वादे : पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाना। पटना क्लास वन सिटी बनाना।
- रविशंकर के दावे : मंत्री रहते अलावलपुर, करनौती जैसे पटना जिले के ही 31 गांवों को डिजिटल विलेज में तब्दील किया है। गांव वाले मुझे डिजिटल भैया कहते हैं। कानून मंत्री रहते तीन तलाक से जुड़े बिल को ही पारित नहीं कराया 1400 पुराने कानूनों को निरस्त भी कराया।
- वादे : घर-घर पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति, बड़े नालों को अंडरग्राउंड करना। मेट्रो के काम को गति देना।