पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाने की मांग तेज़ हो गई है. बीते शनिवार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी में कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया जाए. इससे पहले कहा गया था कि स्वास्थ्य सुविधाओं में डाक्टरों की सुरक्षा के संबंध में एक केंद्रीय कानून का मसौदा तैयार करने के मुद्दे पर पर सरकार ‘फिर से विचार’ करेगी. चिट्ठी में केंद्रीय मंत्री ने साल 2017 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से मंत्रालय को दिए गए एक कानून के ड्राफ्ट को भी जोड़ कर भेजा है.
मेडिकल सर्विस पर्सन्स और मेडिकल सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और क्षति की रोकथाम या संपत्ति का नुकसान) अधिनियम, 2017 के मसौदा अधिनियम में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के लिए दस साल की जेल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना है. हालांकि आईएमए फिलहाल इस अपराध के लिए सात साल की जेल की मांग कर रहा है.
ड्राफ्टेड कानून, आईएमए द्वारा साल 2017 में मंत्रालय को दिया गया था- इसने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग की थी, और कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना के मद्देनजर इसे फिर से उठाया है.
इस मसौदे के प्रावधान काफी कड़े हैं. इसके तहत डॉक्टरों के मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना को हिंसा के रूप में अलग-अलग बांटा गया है. इसमें अस्पतालों और उनके आसपास के 50 मीटर के दायरे के साथ डॉक्टर के घर की सुरक्षा शामिल है.