आम सभा ब्यूरो(पवन सिंह) गोरखपुर ।
तीन साल पहले मुठभेड़ में इनामी बदमाश धर्मेंद्र सिंह को मार गिराने वाले एसटीएफ गोरखपुर की फील्ड इकाई के एडिशनल एसपी विकास चंद त्रिपाठी और प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह सहित पांच को राष्ट्रपति का पुलिस पदक मिला है। यह पदक वीरता के लिए दिया जाता है। राज्यपाल राम नाईक जल्द ही पदक देकर वीर पुलिस अफसर, कर्मियों को सम्मानित करेंगे। विज्ञापन विज्ञापन एसटीएफ गोरखपुर की फील्ड इकाई में सत्य प्रकाश सिंह की तैनाती 2008 में हुई। पिछले 10 वर्षों में प्रभारी निरीक्षक ने 13 एनकाउंटर किए। मुठभेड़ में इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया। सरकारी नौकरी में सेंध लगाने वाले सॉल्वर गिरोह का भंडाफोड़ भी किया। सबसे ज्यादा ख्याति 2016 में धर्मेंद्र सिंह मुठभेड़ से मिली। एसटीएफ के मुताबिक धर्मेंद्र ने गोरखपुर के आर्यन अस्पताल के मालिक डॉ. डीपी सिंह से साढ़े छह करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। आजमगढ़ में एक साथ तीन लोगों की हत्या करके सनसनी फैला दी थी। तिहरे हत्याकांड के बाद ही धर्मेंद्र एसटीएफ के निशाने पर आ गया। पुख्ता सूचना के आधार पर सत्यप्रकाश सिंह ने टीम के साथ उसे खोराबार के कड़जहां में घेरा। एनकाउंटर में घायल धर्मेंद्र की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस टीम की अगुवाई एडिशनल एसपी विकास चंद्र त्रिपाठी कर रहे थे। तब एसटीएफ के उपनिरीक्षक (सिद्धार्थनगर में तैनाती) भानु प्रताप सिंह ने भी साथ दिया था। गोरखपुर एसटीएफ में तैनात मुख्य आरक्षी यशवंत कुमार सिंह और आरक्षी संतोष कुमार सिंह ने भी वीरता का परिचय दिया। इसी वजह से राष्ट्रपति का वीरता पदक मिला है*