मनीष सिंह, गोरखपुर। उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही आज रविवार को छठ का पर्व समाप्त हो गया। चार दिन चले प्रकृति पूजन के इस त्योहार को लेकर गोरखपुर जिले में काफी धूम थी। गोरखनाथ मंदिर, सूर्यकुंड धाम, मानसरोवर पोखरा समेत जिले की राप्ती, सरयू, रोहिन, आमी समेत समेत सभी नदियों एवं 400 से ज्यादा तालावों पर छठ पर्व का त्योहार मना।
शनिवार की शाम डूबते सूर्य को अघ्र्य देकर रविवार की सुबह उदित होते भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए आस्था का सैलाब छठ पूजन स्थलों पर उमड़ पड़ा। अघ्र्य देने के बाद व्रति महिलाओं ने 36 घंटे के बाद अपना निर्जला व्रत खोला। इससे पहले कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर शनिवार को सूर्योपासना का महापर्व छठ परंपरागत श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने सारा दिन व्रत रखा और शाम को डूबते सूर्य (अस्ताचलगामी) को प्रथम अघ्र्य देकर पति एवं पुत्र के लिए मंगल कामना की।
रविवार को व्रती महिलाओं ने उदय होते सूर्य देव को अघ्र्य दिया। हजारों की संख्या में महिलाओं ने घुटने तक पानी में खड़े होकर पूजा-अर्चना की। सजे-धजे सूपों को हाथ में लेकर सूर्यदेव को अघ्र्य दिया। पूजन के दौरान संपूर्ण वातावरण छठ मइया एवं सूर्यदेव की जय-जयकार से गुंजायमान रहा। खजनी ग्रामीण क्षेत्रों में उगते सूरज को अघ्र्य देने के साथ ही 36 घंटों से चल रहे छठ महापर्व के अवसर पर जहां महिलाओं ने 4 दिन तक बिना अन्य जल ग्रहण किए ही छठ महापर्व का व्रत धारण किया। इस मौके पर गांव स्तर की कमेटियों ने रात में छठ वेदी स्थल पर लाइट का भर पूर प्रबंध किया। दूसरे दिन अघ्र्य देने के बाद व्रती महिलाओं की व्रत खोलने की व्यवस्था भी की गई थी।
खजनी क्षेत्र मे खजनी छताई सतुआभार भरोहिया बसडीला केवटली बांग्ला पांडेय, रामपुर पांडेय, सिसवा, वहुरीपार, भैसा बाजार से लगा है। प्रत्येक गांव में छठ महापर्व बड़े धूमधाम गाजे-बाजे और हर्षोल्लास के वातावरण में मना। इस मौके पर महिलाओं ने जहां अपने परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए छठ मैया से मन्नतें मांगी। मन्नतें पूरी होने पर व्रती महिलाओं ने चढ़ावा चढ़ाया। महिलाओं ने छठ वेदी पर दीप, धूप, अगरबत्ती, कपूर, फल-फूल, सिंदूर, मेवा-मिष्ठान और अनेकों प्रकार के पकवान चढ़ाएं। दान दिए वहीं पूजा अर्चना कर गंगा मैया को भी दीपदान किया। सभी महिलाएं अपने आंचल में सूरज देव की पूजन सामग्री लेकर भोर में 4 बजे से कमर भर जल में नदी तालाब पोखरो में खड़ी होकर अपने पूज्य आराध्य देव सूर्य का घंटों इंतजार करती रहीं। भगवान सूर्य के उदय होते ही अर्घ देकर 36 घंटों से चल रहे निर्जला छठ महापर्व का समापन की उसी घाट पर ही अपने से बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद से किया। छोटों को आशीर्वाद देकर प्रसाद ग्रहण कर पारण किया। मांगलिक गीत गाते हुए अपने घर को प्रस्थान किए। क्षेत्र के राजस्व और पुलिस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की उपस्थिति रही।