आम सभा, भोपाल : “वर्तमान दौर में मनुष्य को निराशा रूपी छाया घेरते जा रही है। एक साहित्यकार होने के नाते हमारा दायित्व है कि हम देश और समाज को इस परिस्थिति से उबारने हेतु समवेत प्रयास करें। इसी बात को ध्यान में रखकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना इस मासिक गोष्ठी का उद्देश रहा।”
“राहें प्रशस्त और हौसले बुलंद”
16 मई रविवार को गूगल मीट* पर सम्पन्न हुई। सकारात्मक और मातृत्व दिवस पर रचनाकारों ने रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उ .प्र. मध्यम प्रांत अध्यक्ष डा. राजेश कुमारी ने की उन्होंने रचनाकारों की कविताओं की समीक्षा कर उनका हौसला बढ़ाया साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्रियान्वन और हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला। यू.एस की प्रोफ़ेसर एवं फ़ाइन आर्ट्स की कलाकर,कोलाज में विशिष्ट मुक़ाम हासिल करने वाली डॉ. मंजूषा गांगुली जी ने विशिष्ट अतिथि के पद पर शोभायमान रहीं।आपने माँ पर कविता सुनाई बहुत दिनों से दिखाना चाहती थी मां बचपन से गांव। सरस्वती वंदना का सुमधुर पाठ नीति श्रीवास्तव द्वारा किया गया। स्वागत वक्तव्य श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की संयोजिका एवं संचालिका शेफालिका श्रीवास्तव थी। कार्यक्रम के अंत में आभार जया तागडे जी ने दिया। कार्यक्रम की मार्गदर्शिका म.प्र. प्रांंतीय अध्यक्ष डाॅ प्रीति प्रवीण खरे थी। जिनके मार्गदर्शन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
समाचार का दायित्व उपाध्यक्ष साधना श्रीवास्तव जी ने बखूबी निभाया। कार्यक्रम में रचनाकारों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में यू.एस से जुड़ीं कोलाज कला में मुक़ाम हासिल करने वाली म.प्र की इकलौती कलाकार, प्रोफ़ेसर एवं साहित्यकार डॉ.मंजूषा गांगुली। उत्तर प्रदेश मध्य क्षेत्र की अध्यक्ष डॉ.राजेश कुमारी जी की अध्यक्षता में आयोजन परवान चढ़ा।आपने सभी रचनाओं की समीक्षा करते हुए हौसला बढ़ाया।
रचनाकारों की पढ़ी गईं रचनाओं की पंक्तियाँ जिस पर उन्हें वाहवाही मिली।
1-डॉ.मंजूषा गांगुली-
इक धूल भरी पीली दोपहरी में
हम पहुँचते थे गाँव
2-डॉ.राजेश कुमारी-
राहें है प्रशस्त हौसले हैं बुलंद
3-सुधा दुबे-
“हो हजारों उलझनें राहों में
जाओ ईश्वर की पनाह में
कोशिशें करो बेहिसाब ,
मुस्कुराते रहिए जनाब ।”
सुनीता शर्मा सिद्धि-
” वीरांगना मरती नहीं
. भाल पर सजतीरही
अचल हिमालय सी खड़ी
निर्भय आगे बढ़ती गई”
4-साधना श्रीवास्तव-
मेरी सहेली बन गई कविता
उसने मेरे मन को है जीता।
5-विद्या श्रीवास्तव-
” हे गोवर्धन गिरधारी
हम आए शरण तिहारी
अनीता श्रीवास्तव खरे-
“अंतरंग से उठी एक तरंग
आज बिखेरें खुशियों के रंग
सुंदर भाव भरें मन में
आचार विचार के संग”
6-रीना मिश्रा-
“पास बैठकर माँ के दिल का पूछो तो जरा हाल कभी।”
7-कीर्ति “विद्या” सिन्हा-
क्या लिखूं कैसे लिखूं
तू मां है मेरी लिखी नहीं जाती
8-करुणा श्रीवास्तव-
शीर्षक भारत की बेटी हो महान , न कहो किसी से अबला।
9-सविता बाँगड़-
“तू कोशिश कर हल जरूर निकलेगा
आज नहीं तो कल जरूर निकलेगा ”
10-डा.माया दुबे
“प्रकृति को है हमसे प्यार।
वो रोज देती हमको उपहार।”
11-नीति श्रीवास्तव-
“यह समय है आस्था और विश्वास का”
12-सुनीता यादव-
“आज अंधेरे से उजाले की ठनी है
जिंदगी की मौत से कब बनी है।”
13-रूपाली सक्सेना-
कविता की पंक्तियाँ
“डरो नहीं उड़े चलो”
14-नीता श्रीवास्तव-
“विश्व पटल पर जीवन मूल्य जो चर्चा में सजे हुए हैं”
15-शेफालिका श्रीवास्तव
आशा का परचम लहरायेगा
कल नया झरोखा खुल जायेगा
लक्ष्य तुम्हें नज़र आयेगा
तुम धीरज घर आगे बढ़ना
16-डॉ.वर्षा चौबे
मै गीत सृजन करती हूं…
17-कुसुम श्रीवास्तव-
इतना छोटा करो न मन को