आगामी लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर कांग्रेस पार्टी सोमवार को सहमति दे सकती है। पार्टी सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व के संकेत के बाद दिल्ली कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता गठबंधन के लिए तैयार हैं। जबकि, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को मनाने के लिए पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको के साथ सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है।
दिल्ली में तमाम ना-नुकुर के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय हो चुका है। ‘आप’ की ओर से लगातार खुले मंच से कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कही जाती रही है। हालांकि, दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की तरफ से इससे इनकार किया जाता रहा है। लेकिन, बीते दो दिनों में पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने खुलकर गठबंधन के पक्ष में अपनी बात कही। जबकि, पार्टी के कई अन्य नेता भी इस पर सहमति जता चुके हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर शीला दीक्षित अकेली पड़ गईं हैं। उन्हें अन्य नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है। वहीं, पीसी चाको गठबंधन के लिए शीला दीक्षित को मनाने की बात कह चुके हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार सोमवार को शीला दीक्षित और पीसी चाको के बीच महत्वपूर्ण बैठक हो सकती है। इसमें गठबंधन को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के रुख को बताते हुए शीला दीक्षित को भी इसके लिए मनाया जाएगा।
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सहमति जताने के बाद होगी सीटों पर चर्चा : दिल्ली कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी तक आम आदमी पार्टी के साथ आधिकारिक तौर पर गठबंधन पर चर्चा शुरू नहीं हुई है। सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व की ओर से इस पर हरी झंडी दिखाए जाने की उम्मीद है। इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर चर्चा होगी।
अब सात नहीं 33 सीटों पर बात होगी: गोपाल राय
दो दिन पहले कांग्रेस की ओर से गठबंधन को लेकर नरम रुख दिखाने के बाद भी ‘आप’ की ओर से दिल्ली के सातवें लोकसभा उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई। आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाकर उम्मीदवार की घोषणा को सही बता रही है। वहीं, यह भी कह रही है कि कांग्रेस ने गठबंधन को लकर बहुत देर कर दी है। अब सात नहीं बल्कि 33 लोकसभा सीटों पर बात होगी।
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‘आप’ के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने रविवार को कहा कि देशहित में हम गठबंधन के पक्ष में थे। मगर, कांग्रेस गंभीर नहीं दिख रही थी। हमारी तरफ से बातचीत की कोशिश की मगर वह उसके लिए भी तैयार नहीं है। कांग्रेस अगर गंभीर है तो बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं। हम दिल्ली के साथ पंजाब, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़ की सभी सीटों पर बात करने के लिए तैयार हैं। मगर, फिलहाल हमारी कांग्रेस के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि देश की जनता को मोदी और शाह की तानाशाही से बचाने के लिए आम आदमी पार्टी ने सोचा था कि कांग्रेस के साथ भी अगर समझौता करना पड़े तो करेंगे। परंतु पिछले तीन महीने से कांग्रेस जो गैर जिम्मेदराना व्यवहार कर रही है वह निराशाजनक रहा है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो ‘आप’ की कांग्रेस के साथ गठबंधन की उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस की ओर से हरी झंडी मिलते ही दोनों दलों के नेता बैठकर सीटों का बंटवारा करेंगे। अभी सीटों को लेकर कोई बात नहीं हुई है। मगर सूत्र बताते हैं कि ‘आप’ पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट को किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी जो गठबंधन के राह में रोड़ा बन सकती है।