परम धर्म संसद के बाद गुरुवार को कुंभनगरी में वीएचपी की धर्म संसद हो रही है. 2019 चुनाव के पहले राम मंदिर के लिए संतों की ये सबसे बड़ी बैठक है. इस धर्म संसद में वीएचपी से जुड़े साधु-संत राम मंदिर के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोहलत देते दिखाई दिए. इस दौरान साधु-संतों ने परम धर्म संसद को नकली करार दिया गया. इस धर्म संसद में हिस्सा लेने के लिए खुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और योग गुरु रामदेव पहुंचे हैं.
गुरुवार को हुए धर्म संसद में जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि नकलची लोग हमारी धर्म संसद की नकल करके देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. 99 फीसदी लोग इस धर्म संसद के साथ हैं और 1 फीसदी लोग देश को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. गुमनामी के अंधेरे में ये लोग थे. टीवी में सुर्खियां पाने के लिए परम धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण का ऐलान किया गया है.
कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं स्वरूपानंद सरस्वती
स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि संत समाज किसी पार्टी की मोहताज या पिछलग्गू नहीं है. स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं. कांग्रेस के वकीलों ने मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाए. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के राज में पूरी दुनिया में देश का नाम हुआ है. राम मंदिर के निर्माण के लिए हम चिंतित हैं, लेकिन इस सरकार ने भूमि को न्यास को देने की बात तो की. हमें इस सरकार पर संदेह नहीं है. वीएचपी की ये धर्म संसद शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की उस परम धर्म संसद के बाद हो रही है, जिसमें 21 फरवरी को अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास का ऐलान कर दिया गया है.
बुधवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी ने 21 फरवरी से राम मंदिर निर्माण का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दरअसल बीजेपी के ही संगठन हैं और हम नहीं चाहते कि राजनीतिक संगठन अब राम मंदिर पर मुद्दा आगे बढ़ाएं. उन्होंने सिर्फ राजनीति की है. 4 साल तक यह लोग राम मंदिर पर चुप रहे अचानक क्यों जाग रहे हैं. साधु महात्माओं में मतभेद नहीं है. हम बस यह कह रहे हैं कि मंदिर अब सरकार नहीं बना सकती साधु ही बनाएंगे. दो दिन में आरक्षण का कानून ले आए. तीन तलाक पर कानून ले आए. सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने के लिए कानून ले आए तो राम मंदिर पर कानूनी रास्ता क्यों नहीं लिया.