नई दिल्ली
सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि कोर्ट की टिप्पणियों से ऐसे संकेत भी मिले कि सर्वोच्च अदालत इस मामले में बीच का रास्ता दे सकती है यानी न तो सीबीआई डायरेक्टर को अनुशासनात्मक कार्रवाई से पूरी तरह छूट देगी और न ही केंद्र को सीबीआई चीफ के 2 साल के तयशुदा कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज में दखल की छूट देगी।
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया। दोनों ही याचिकाओं में वर्मा से सभी अधिकार छीन लिए जाने के 23 अक्टूबर के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले सीजेआई की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार, सीवीसी और वर्मा के सामने कई कठिन सवाल उठाए। सीजेआई ने केंद्र सरकार की इस दलील की हवा निकाल दी कि वर्मा और अस्थाना के झगड़े की वजह से उसे मजबूर होकर कार्रवाई करनी पड़ी। सीजेआई ने कहा, ’23 अक्टूबर को जिन हालात में यह फैसला लिया गया, वह कोई रातोंरात नहीं बना था बल्कि पिछले 3 महीनों से बन रहा था।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि क्या सीबीआई निदेशक को इस तरह का संरक्षण हासिल है कि 2 साल के निश्चित कार्यकाल के दौरान न तो केन्द्र और न ही सीवीसी किसी कार्य के लिए उन्हें छू सकती है।
वर्मा और एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं फली नरीमन और दुष्यंत दवे ने दलील दी कि न तो केन्द्र और न ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास सीबीआई डायरेक्टर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की शक्ति है। दोनों अधिवक्ताओं ने कहा कि अगर सीबीआई चीफ 2 साल के फिक्स्ड कार्यकाल के दौरान कोई अपराध करते रंगे हाथों पकड़े भी जाते हैं तो केंद्र सरकार बिना सिलेक्शन कमिटी (पीएम, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल) की पूर्व अनुमति के उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।
इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने सवाल किया, ‘क्या इससे सीबीआई डायरेक्टर एक तरह से अछूत नहीं हो जाएंगे? क्या संसद की मंशा यह थी?’ बेंच ने सवाल किया, ‘क्या सीबीआई डायरेक्टर का निश्चित कार्यकाल सभी नियमों से ऊपर है और उन्हें अछूत बनाता है?’ सीजेआई ने कहा कि हमें इसी का फैसला करना है कि क्या डायरेक्टर सभी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाइयों से ऊपर हैं। उन्होंने कहा कि संसद ने इस तरह की सुरक्षा सीवीसी को दी है लेकिन ऐसी सुरक्षा सीबीआई डायरेक्टर को क्यों नहीं दी गई है।