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चंदेरी / गरीबों को मुंह चिढ़ाती दिन में जल रही स्ट्रीट लाइट

– लापरवाही बरतते कर्मचारी, उदासीन रवैया

आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी। जहां गरीब क्या हर बिजली उपभोक्ता बिजली के बिल चार चार पांच गुना बिल बगैर मीटर रीडिंग के इस वैश्विक महामारी में आ रहें हैं और उपभोक्ता बिजली विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो रहे हैं पर उनके बिल अधिकारी यथावत रखते हुए पहले जमा कराने का कह रहे हैं। व्यापारी वर्ग व सम्पन्न परिवार के तो बिल जमा हो रहें हैं। पर गरीब उपभोक्ता ये गरीब मार बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है।

शिवराज सरकार बार बार कह रहे हैं कि आप चिंता न करें आपका बिल हाफ कर दिया जाएगा, पर अभी तक कोई आदेश नहीं आया ऊपर से विद्युत वितरण कंपनी पर आदेश यह जरूर आ गया कि जिनके बिल जमा नहीं हो रहें हैं उनके घर जाकर बिल जमा किए जाये न देने पर उनके विद्युत कनेक्शन काट दिए जाये जिनके एक हजार रुपए भी बाकी है उनके भी कनेक्शन काटे जा रहे हैं। चार महीने से गरीब आदमी कौरोना की मार झेल रहा है ऊपर से जबरन तरीके से बिजली बिल की वसूली की जा रही है। यह गरीब उपभोक्ताओं के साथ अन्याय हो रहा है। वही चंदेरी शहर के हजारिया महादेव पर लगी डीपी से जलने वाली स्ट्रीट लाइट दिन में भी लगातार चालू रहती है।

कर्मचारियों के उदासीन रवैया के कारण दिन में जलती फिजूल लाइट गरीबों को मुंह चिढ़ाती नज़र आ रही है।हजारिया महादेव मंदिर से कालेज लाइन बोर्ड कालोनी के पोल पर लाइट दिन में भी जलती रहती है। जब संवाददाता ने विद्युत वितरण कंपनी चंदेरी से संपर्क किया तो बताया गया कि स्ट्रीट लाइट की जिम्मेदारी नगर पालिका चंदेरी की है। वही कर्मचारी ड्यूटी पर रहते हैं। यह उनका काम है व्यवस्था बनाए रखने का।

जब डीपी के पास जाकर पता किया गया तो वहां नगरपालिका के कर्मचारी नदारद थे वहां के रहवासियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऐसी ही लाइट दिन रात जलती रहती है। कभी कभी कोई आ जाता है चालू बंद करने पर ज़्यादातर समय जलती ही रहती है।

अन्य सूत्रों से भी पता चला नाइट ड्यूटी वाले 12:00 से 8:00 कभी कभी नगरपालिका लगाती है जिम्मेदार कोई नहीं है। नगरपालिका कर्मचारी चालू करते हैं 4:00बजे शाम नाइट ड्यूटी वाले सुबह बंद करके जाते हैं। अपनी-अपनी ड्यूटी से उदासीन रहते हैं न चालू करने का सही टाइम है ना बंद करने का कभी नगर पालिका चालू करती है कभी विद्युत मंडल जिसको जैसा टाइम मिलता है ऐसा काम करते हैं।

और जब टाइम नहीं मिलता तो या तो स्ट्रीट लाइट बंद ही रहतीं हैं या चौबीस चौबीस घंटे चालू ही रहती है। किसी अधिकारी को भी नहीं दिखती जबकि बोर्ड कालोनी में सभी विद्युत् विभाग के अधिकारियों का आवास है। पर किसी को नहीं दिखती। पर बेचारे गरीब विद्युत उपभोक्ताओं को जरूर देख देख कर मुंह चिढ़ाती है कि देख हम लापरवाह अधिकारियों के कारण जल रहें और तुम्हें नहीं मिल रही।

अजीब विडंबना है यह लापरवाही और उदासीन रवैया के कारण विद्युत की फिजूलखर्ची और उपभोक्ता को चार गुना दाम पर मिल रही है। ऐसे उदासीन अधिकारी और कर्मचारी की वजह से सरकार को भी नुकसान हो रहा है पर विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी सब लाइट की फिजूलखर्ची का भार उपभोक्ताओं पर डाल कर उपभोक्ताओं को नाजायज परेशान करते हैं और नाजायज तरीके से उनके कनेक्शन काट कर अपनी ड्यूटी की इतिश्री समझ रहे हैं। जबकि यह फिजूलखर्ची नहीं दिख रही। संबंधित अधिकारी, कर्मचारी पर कभी इस लापरवाही पर कार्रवाई होगी यह सवाल समझ से परे है।

क्य़ो कि नीचे से ऊपर तक कोई सुनने वाला नहीं हैं। देखना होगा कब संज्ञान में लिया जाता है यह कब दिखता है लापरवाह अधिकारियों को।

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