इंदौर : हाड़ कंपाने वाली ठंड में बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को इंदौर की शहरी सीमा से जबरन बाहर छोड़े जाने की बहुचर्चित घटना की जांच के बाद नगर निगम प्रशासन ने छह और अस्थायी कर्मचारियों को बुधवार को बर्खास्त कर दिया। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि शहरी निकाय के एक अतिरिक्त आयुक्त की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर आयुक्त प्रतिभा पाल ने यह कदम उठाया। उन्होंने बताया कि जांच में साबित हुआ है कि भीख मांगकर गुजारा करने वाले बेसहारा बुजुर्गों को इंदौर की शहरी सीमा से जबरन बाहर छोड़े जाने की घटना में संबंधित अस्थायी कर्मचारियों की सीधी भूमिका थी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस घटना पर नाराजगी जताए जाने के बाद नगर निगम के एक उपायुक्त को 29 जनवरी को ही निलंबित कर दिया गया था और दो अस्थायी कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने दावा किया कि नगर निगम प्रशासन ने इस घटना की जांच के नाम पर लीपापोती की है और बुजुर्गों से अमानवीय बर्ताव के लिए जिम्मेदार बडे़ अफसरों को अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचा लिया गया है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के 13 दिन पुराने घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया पर पहले ही वायरल हैं। इनमें नजर आ रहा है कि नगर निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते के ट्रक के जरिये बेसहारा बुजुर्गों को नजदीकी क्षिप्रा गांव के पास सड़क किनारे छोड़ा जा रहा है। लेकिन कुछ जागरुक ग्रामीण इस अमानवीय घटना पर एतराज जता रहे हैं और इसे मोबाइल कैमरे में कैद कर रहे हैं। इससे घबराए नगर निगम कर्मचारी बुजुर्गों को दोबारा ट्रक में बैठाते दिखाई दे रहे हैं। वायरल वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि इनमें से कुछ बुजुर्ग अधिक उम्र के चलते अपने बूते चलने-फिरने से भी लाचार हैं और वे हताश होकर सड़क किनारे बैठ गए हैं, इनमें कुछ दिव्यांग भी शामिल हैं और बेसहारा लोगों के सामान की पोटलियां सड़क किनारे यहां-वहां बिखरी नजर आ रही हैं।