मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट में अधिवक्ता और भाजपा की पूर्व प्रवक्ता आरती अरुण साठे की बतौर न्यायाधीश नियुक्ति को लेकर देश में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस पर गहरी आपत्ति जताते हुए न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने स्पष्ट किया है कि आरती साठे ने पार्टी से पिछले वर्ष ही इस्तीफा दे दिया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 जुलाई 2025 को आरती साठे को बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। कॉलेजियम में शामिल चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी.आर. गवई ने यह निर्णय लिया था। कॉलेजियम के अनुसार, उनकी नियुक्ति योग्यता, अनुभव और पेशेवर दक्षता के आधार पर की गई है।
विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्षी दलों ने आरती साठे की नियुक्ति को “राजनीतिक पूर्वाग्रह” से प्रेरित बताया है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “एक राजनीतिक पार्टी की पूर्व प्रवक्ता अगर न्यायपालिका में बैठेंगी, तो आम नागरिक कैसे निष्पक्ष न्याय की उम्मीद कर सकता है?” कुछ नेताओं ने यह भी मांग की है कि इस नियुक्ति की नैतिक जांच की जाए।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, “आरती साठे एक योग्य और प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं, और उन्होंने पार्टी से पिछले वर्ष त्यागपत्र दे दिया था। उनकी नियुक्ति पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अनुशंसा के आधार पर की गई है।”
आरती साठे का प्रोफाइल
आरती अरुण साठे एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कर, वित्तीय और वाणिज्यिक मामलों में विशेष अनुभव हासिल किया है। वे पूर्व में भाजपा की प्रवक्ता रही हैं लेकिन उन्होंने 2024 में पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी नियुक्ति योग्यता और पेशेवर दक्षता के आधार पर हुई है, न कि किसी राजनीतिक प्रभाव के चलते।
निष्कर्ष:
आरती साठे की नियुक्ति पर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के चलते यह नियुक्ति फिलहाल आगे बढ़ती दिख रही है। देखना यह होगा कि क्या भविष्य में इस पर न्यायिक या संवैधानिक बहस और तेज होती है।