नई दिल्ली
मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है. इसे मूर्त रूप देने के लिए मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया. चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि आरक्षण विरोधियों को आरक्षण देने से आरक्षण मजबूत होगा.
पासवान ने अपनी बातों को विस्तार देते हुए कहा कि जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की जा रही थीं तब भी यह बात उठी थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाए लेकिन बात नहीं बन पाई. नरसिम्हा राव ने भी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में भी सवर्णों को आरक्षण देने का प्रयास किया था लेकिन कोर्ट ने मामले को पलट दिया.
पासवान ने मोदी सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की गई थीं उस समय पूरे देश में उसका विरोध हुआ था. लेकिन विरोध करने वालों को इसलिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता था कि वो संविधान के अनुच्छेद 16-4 से गवर्न नहीं होते थे. अगर आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने से ओबीसी और एससीएसटी के आरक्षण देने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है तो इसमें बुराई क्या है.
पासवान ने कहा कि ओबीसी और एससीएसटी को ही केवल आरक्षण मिल रहा था. कई दलों ने समय-समय पर मांग की थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए. इस सरकार ने इसी प्रयास को मूर्त रूप दिया है. सवर्णों को आरक्षण देने से इसका विरोध खत्म हो जाएगा और आरक्षण और मजबूत होगा.
उन्होंने यह बात भी उठाई कि एससीएसटी एक्ट को कोर्ट ने कमजोर कर दिया था. सरकार ने फौरन संविधान संशोधन करके उसे फिर उसी रूप में कर दिया. इसके खिलाफ सवर्णों ने पूरे देश में विरोध किया, इससे पहले एससीएसटी के लोगों ने अप्रैल में प्रदर्शन किया जिसमें 12 लोग मारे गए. इन सभी घटनाओं से सवर्णों के मन में असंतोष का भाव था. पासवान ने कहा कि मोदी सरकार एक-एक मुद्दे को निपटा रही है. इसी के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण के दायरे में लाया गया है.