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शोध में खुलासा- हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप-1 (HSV-1) का संक्रमण बेडरूम में फैल सकता है

शिकागो
इंसान की मानसिक सेहत से जुड़ी बीमारियों में डिमेंशिया एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हाल ही में, इलिनोइस यूनिवर्सिटी शिकागो के वैज्ञानिकों ने एक शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप-1 (HSV-1) का संक्रमण बेडरूम में फैल सकता है और यह डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है। यह शोध वायरस और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को समझने के लिए किया गया था। इस अध्ययन में यह पाया गया कि बेडरूम के अंदर किस, ओरल सेक्स और अन्य फिजिकल एक्टिविटी के दौरान हर्पीज वायरस का संक्रमण फैल सकता है। वायरस दिमाग में सूजन उत्पन्न कर सकता है, जिससे मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।

शोध में क्या बताया गया है?
शोध का नेतृत्व प्रोफेसर दीपक शुक्ला ने किया। शोध में यह बताया गया है कि बेडरूम में किसी भी तरह की शारीरिक क्रियाओं से वायरस फैलने का जोखिम अधिक होता है, खासकर जब किसी व्यक्ति का संपर्क वायरस से प्रभावित व्यक्ति से होता है। जब किसी व्यक्ति की नाक HSV-1 से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आती है, तो वायरस वहां से तंत्रिका तंत्र तक पहुंच सकता है, जिससे वायरस दिमाग में सूजन पैदा कर सकता है। इस सूजन के कारण व्यक्ति को मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, जो डिमेंशिया जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि HSV-1 वायरस सिर्फ मुंह के आसपास ही नहीं, बल्कि अन्य शारीरिक हिस्सों में भी फैल सकता है, जैसे कि प्राइवेट पार्ट्स में। हालांकि, इसके फैलने की संभावना कम होती है, लेकिन इस वायरस के कारण प्राइवेट पार्ट्स में दाद हो सकता है। इसके अलावा, ओरल हर्पीज (जो मुंह और होठों के आसपास होने वाले छालों से होता है) से प्रभावित व्यक्ति के चूमने से भी यह वायरस फैल सकता है।

जानिए क्या है हर्पीज वायरस और डिमेंशिया के बीच संबंध
यह पहला शोध है जिसमें यह पाया गया कि हर्पीज वायरस डिमेंशिया के लक्षणों को उत्पन्न कर सकता है। शोधकर्ताओं ने यह समझाया कि हर्पीज वायरस शरीर में तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) तक पहुंचकर मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालता है। इससे शरीर के नर्वस सिस्टम में सूजन उत्पन्न होती है, जो धीरे-धीरे मानसिक विकारों का कारण बन सकती है। इस वायरस के कारण दिमागी कार्यों में गड़बड़ी हो सकती है, जो लंबे समय में डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक स्थितियों का कारण बन सकती है।

HSV-1 वायरस क्या है?
HSV-1 (हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप-1) एक सामान्य वायरस है जो आमतौर पर मुंह और होंठों के आसपास घावों (कोल्ड सोर) के रूप में दिखाई देता है। यह वायरस तब फैलता है जब किसी व्यक्ति का संपर्क संक्रमित व्यक्ति के मुंह, त्वचा या लार से होता है। यह वायरस इतना सामान्य है कि WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, दुनिया भर की लगभग 2-तिहाई आबादी इस वायरस से संक्रमित है। हालांकि यह वायरस सामान्यतः मुंह और चेहरे के आस-पास घावों के रूप में दिखाई देता है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है, जैसे प्राइवेट पार्ट्स में।

डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया एक सिंड्रोम है, यानी यह कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई मानसिक स्थितियों का समूह है, जो मस्तिष्क के कार्यों को प्रभावित करती हैं। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति को अपनी याददाश्त, सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, और व्यवहार में गड़बड़ी हो सकती है। डिमेंशिया के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

– नाम और चेहरों को पहचानने में मुश्किल
– भूलने की आदतें
– निर्णय लेने में समस्या
– लगातार भ्रमित रहना
– शारीरिक संतुलन में समस्या होना
– चलते समय डगमगाना और गिर जाना
– हाथों और पैरों की गतिशीलता में परेशानी

डिमेंशिया का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन इसकी पहचान जल्दी होने से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति की जीवनशैली में सुधार लाया जा सकता है।

बेडरूम में वायरस फैलने का खतरा क्यों है अधिक?
शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि बेडरूम में वायरस फैलने का खतरा अधिक होता है क्योंकि यहाँ लोग शारीरिक संपर्क करते हैं और एक-दूसरे के करीब होते हैं। जैसे कि किस करना, ओरल सेक्स करना, और अन्य शारीरिक गतिविधियों के दौरान वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। हर्पीज वायरस का संपर्क शरीर के विभिन्न हिस्सों से हो सकता है, खासकर जब किसी व्यक्ति का मुंह या नाक किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट आता है।

किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आएं जो…
यदि आप या आपका कोई करीबी व्यक्ति हर्पीज वायरस से संक्रमित है, तो आपको एहतियात बरतनी चाहिए। खासकर जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आएं, जिसका शरीर संक्रमित है। इसके अलावा, यदि किसी को डिमेंशिया के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इस तरह की मानसिक स्थिति से निपटने के लिए समय पर उपचार और देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है। 

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