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रेल और हवाई यात्रा – हौसलों की उड़ान

इस वीकेंड के उस तरफ खड़ा नया सप्ताह नए उत्साह से हमारा स्वागत करने वाला है। दो महीने से ज्यादा चले लॉकडाउन के बाद दुकान-दफ्तर धीरे-धीरे खुलने लगे हैं, पर इससे जनजीवन सामान्य होने का वैसा अहसास नहीं हो रहा, जिसका सभी इंतजार कर रहे हैं। अगला हफ्ता यही अहसास अपने साथ लेकर आ रहा है। सरकार ने घोषणा कर दी है कि घरेलू उड़ानों पर लगी रोक सोमवार से हटा ली जाएगी। इसके साथ ही रेलवे ने 1 जून से 200 ट्रेनें रोज चलाने का भी एलान किया है, जिसके लिए टिकटों की बुकिंग शुरू हो चुकी है। आईआरसीटीसी के जरिए ही नहीं, रेलवे स्टेशनों, पोस्ट ऑफिसों और यात्री सुविधा केंद्रों के बुकिंग काउंटरों पर भी बुकिंग की जा रही है। इससे पहले स्पेशल ट्रेनें जरूर चलाई गई थीं, लेकिन वह विशेष स्थितियों में विशेष जरूरतों के अनुरूप उठाया गया कदम था।

लॉकडाउन पीरियड शुरू होने के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिना कोई कारण बताए, सिर्फ अपनी मर्जी से भी हम कहीं का टिकट ले सकते हैं और मनचाही जगह पर जा सकते हैं। हालांकि यह हकीकत अपनी जगह कायम है कि कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या विदेशों में ही नहीं, देश में भी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन विशेषज्ञों के बीच अब इस बात पर लगभग सर्वसम्मति है कि लॉकडाउन को जारी रखना महामारी से भी ज्यादा खतरनाक नतीजे ला सकता है।

इसीलिए अर्थव्यवस्था को खोलने, आर्थिक गतिविधियां शुरू करने, जनजीवन को सामान्य बनाने में अब और देर नहीं की जा सकती। सरकार एक तरफ जनजीवन को सामान्य बनाने वाले कदम उठा रही है, दूसरी तरफ सभी संबंधित पक्षों से पूरी सावधानी बरतने का आग्रह भी कर रही है। संभावना यही है कि दो महीने के अंतराल के बाद उड़ान सेवाएं बहाल होंगी तो यात्रियों की कुछ ज्यादा ही भीड़ उमड़ पड़ेगी। देखना जरूरी है कि निजी एयरलाइंस इस स्थिति का फायदा उठाते हुए किराये में बेतहाशा बढ़ोतरी न कर दें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वायरस का प्रसार रोकने के लिए अब तक किए गए प्रयासों पर हमारी किसी गलती से पानी न फिर जाए।

सरकारी तंत्र सारे जरूरी एहतियात बरत रहा है, लेकिन ये दोनों काम एक साथ तभी हो पाएंगे जब आम नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी का ध्यान रखें। लंबे लॉकडाउन ने आम देशवासियों को चाहे जितना परेशान किया हो, पर इसने उनमें सतर्कता की भावना भी विकसित की है। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि सरकार की ओर से छूट मिलने के बावजूद ज्यादातर देशवासी न तो बेवजह घर से निकलेंगे, न अनावश्यक यात्रा करेंगे और न ही यात्रा के दौरान सुरक्षित दूरी बनाए रखने में कोई कसर छोड़ेंगे। यही वह जज्बा है जिसे बनाए रखते हुए हम अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और कोरोना को शिकस्त देने का दोहरा लक्ष्य साध सकते हैं।

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