नई दिल्ली।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बस दो मिनट में रणदीप सुरजेवाला का जींद उपचुनाव में प्रत्याशी बनाने का फैसला कर लिया। पूरे घटनाक्रम से यह बात सामने आई है कि सुरजेवाला को पार्टी ने जींद उपचुनाव में किसी सोची समझी रणनीति के तहत नहीं बल्कि अचानक उतारा है। कांग्रेस के प्रदेश नेताओं ने भाजपा ने जींद से पंजाबी कार्ड खेला तो जाट कार्ड का तर्क देकर कांग्रेस नेताओं ने निर्दलीय विधायक जयप्रकाश जेपी के पुत्र का नाम तय किया था। इस पर राहुल गांधी ने तुरंत सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाने का फरमान सुना दिया।
असल में जींद उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी तय करने के लिए बुधवार को कांग्रेस के 15 गुरुवारा रकाबगंज रोड स्थित वार रूम में पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में दो बैठक हुईं। पहली बैठक सुबह 10.30 बजे शुरू हुई तो कांग्रेस के रणनीतिकारों को पता चला कि भाजपा ने कृष्ण मिड्ढा को अपना उम्मीदवार बना दिया है। इस बैठक में कांग्रेस नेता अपना उम्मीदवार गैर जाट चुनने के लिए एकत्र हुए थे, लेकिन कृष्ण मिड्ढा का नाम आते ही पार्टी नेताओं के बीच मजबूत जाट उम्मीदवार ढूंढने की सैद्धांतिक सहमति बन गई थी। इसके बाद बैठक शाम साढ़े सात बजे तक टल गई।
इस बीच, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विधायक कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला के बीच राजनीतिक खिचड़ी पकी कि कलायत के निर्दलीय उम्मीदवार जयप्रकाश के बेटे विकास सहारण को उम्मीदवार बनाया जाए। हुड्डा ने इसके लिए जयप्रकाश से बात भी कर ली थी। शाम साढ़े सात बजे जब बैठक शुरू हुई तो हुड्डा और कुलदीप बिश्नाई ने एक-एक करके जयप्रकाश का नाम आगे बढ़ा दिया।
यह बात प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर को अच्छी नहीं लगी, उन्हें लगा कि ये पुराने नेता होने के बावजूद पार्टी हित की नहीं सोच रहे हैं। चार साल पहले जिस नेता ने कांग्रेस के अधिकृत नेता को हराया, उसे पार्टी राज्य में मजबूत स्थिति होने के बाद उपचुनाव लड़ने का न्यौता दे रही है। इससे पार्टी कॉडर के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा।
डॉ. अशोक तंवर ने बैठक के दौरान जयप्रकाश के नाम पर अपना विरोध जताया और अब उनकी नजर रणदीप सुरजेवाला पर टिकी थीं। मगर जब पर्यवेक्षक ने बैठक में उपस्थित सभी नेताओं (तंवर को छोड़कर) ने बंद कमरे में अलग-अलग मिलकर भी जयप्रकाश के बेटे का नाम जीतने वाले प्रत्याशी के रूप में लिया तो पर्यवेक्षक ने डॉ. तंवर को भी विकास सहारण के नाम पर मना लिया। बैठक से बाहर आकर रात्रि 8.45 बजे पर्यवेक्षक केसी वेणूगोपाल ने मीडिया को साफ कर दिया कि जींद उपचुनाव के लिए सर्वसम्मति से एक नाम तय कर लिया गया है। पार्टी हाईकमान की मंजूरी के बाद इसकी घोषणा करेंगे।
बस फिर क्या था, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुलदीप बिश्नोई, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, किरण चौधरी सहित अन्य नेता खुशी-खुशी अपने गतंव्य की ओर प्रस्थान कर गए। हुड्डा ने तो अपने निवास पर पहुंचने पर वहां पहले से मौजूद कांग्रेस की टिकट मांग रहे कर्मवीर सैनी को साफ कर दिया कि पार्टी हाईकमान वहां जाट को लड़ाना चाहता है और विकास सहारण पर सभी ने सहमति जता दी है।
सैनी यह सुनकर वहां से निकले तो हुड्डा और उनके पुत्र दीपेंद्र भी निकल गए। मगर प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर ने अपने कार्यालय जाकर पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को सारी वस्तुस्थिति बताई और जाट उम्मीदवार पर तो सहमति जताई मगर जयप्रकाश के बेटे को टिकट का विरोध नीतिगत रूप में किया। राहुल गांधी को यह बात समझ आ गई। बस फिर क्या था, राज्यसभा में सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण का बिल मंजूर होते ही राहुल गांधी ने तंवर को अपने पास बुलाया।
बताया जाता है कि उस समय करीब 10 बजकर 20 मिनट हुए थे। राहुल के तुलगक लेन स्थित निवास पर तंवर के साथ पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला भी थे। जब जाट उम्मीदवार के रूप में विकास सहारण का नाम राहुल के सामने लिया गया तो राहुल गांधी ने रणदीप सुरजेवाला को इशारा कर पूछा, वाई नॉट यू? राहुल के इशारे पर रणदीप मुस्कुराए तो राहुल यह कहकर चले गए, डिक्लेयर रणदीप एज कांग्रेस कंडीडेट।
यह सारा वाक्या सिर्फ दो मिनट का था, राहुल से इशारा मिलते ही पर्यवेक्षक ने कांग्रेस महासचिव मुकल वासनिक से रणदीप के नाम का लेटर टाइप कराया और प्रेस को जारी करवा दिया। डॉ.तंवर तब भी सोए नहीं, वह फिर अपने कार्यालय गए और वहां से रणदीप सुरजेवाला का टिकट बनाकर खुद सुरजेवाला को उनके निवास पर देने गए।