कांग्रेस से इस्तीफा देकर शिवसेना से जुड़ने वाली प्रियंका चतुर्वेदी को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिली है. शिवसेना ने उन्हें पार्टी का उपनेता बनाया है. प्रियंका चतुर्वेदी को ये जिम्मेदारी पार्टी से जुड़ने के ठीक 1 हफ्ते बाद मिली है. उन्होंने 19 अप्रैल को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना का दामन थामा था.
उपनेता की जिम्मेदारी मिलने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का धन्यवाद किया है. उन्होंने कहा कि धन्यवाद उद्धव ठाकरे, मुझे एक संगठनात्मक भूमिका और जिम्मेदारी देने के लिए, ताकि मैं अपनी क्षमता के अनुसार पार्टी में योगदान कर सकूं.
वहीं फेसबुक पर उन्होंने लिखा, ‘उद्धव ठाकरे को मेरा बहुत आभार. आपने जो मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है और मुझ पर अपना पूरा विश्वास और भरोसा जताया है उन सब उम्मीदों पर खरी उतरने के लिए मैं शिवसेना के लिए जी-जान से कार्यरत रहूंगी.’ शिवसेना के पदानुक्रम में, पार्टी अध्यक्ष के पद के बाद नेता और उपनेता के पद महत्वपूर्ण हैं. पार्टी में अध्यक्ष, 12 नेता और 24 उपनेता होते हैं.
शिवसेना में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि मैं मुंबई के लिए काम करना चाहती हूं यही कारण है कि इस दल में शामिल हुई हूं. प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस में जब कुछ लोगों ने उनके साथ बदसलूकी की, लेकिन वापस उन्हें पार्टी में जगह दी जाती है इससे उनके आत्मसम्मान को ठोस पहुंची.
दरअसल 17 अप्रैल को ट्वीट करते हुए प्रियंका ने कांग्रेस के प्रति नाराजगी व्यक्त की थी. प्रियंका ने ट्वीट कर मथुरा के स्थानीय नेताओं पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया था.
प्रियंका ने ट्वीट किया था, ‘जो लोग मेहनत कर अपनी जगह बना रहे हैं, उनके बदले ऐसे लोगों को तवज्जो मिल रही है. पार्टी के लिए मैंने गालियां और पत्थर खाए हैं, लेकिन उसके बावजूद पार्टी में रहने वाले नेताओं ने ही मुझे धमकियां दीं. जो लोग धमकियां दे रहे थे, वह बच गए हैं. इनका बिना किसी कड़ी कार्रवाई के बच जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.’
प्रियंका ने जिस विवाद का जिक्र किया था, वह सितंबर 2018 के आस-पास का था. ट्वीट के साथ एक चिट्ठी भी थी, जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के मथुरा में जब प्रियंका चतुर्वेदी पार्टी की तरफ से राफेल विमान सौदे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आई थीं, तब कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके साथ बदसलूकी की. इसके बाद सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई थी लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य की सिफारिश के बाद उन सभी को बहाल कर दिया गया था.