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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 10 फरवरी को महाकुंभ नगर में आगमन, नावों के संचालन पर रोक, वाहनों का आवागमन भी रहेगा बंद

महाकुंभ नगर
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 10 फरवरी को महाकुंभ नगर में आगमन हो रहा है। वह पावन संगम में डुबकी लगाएंगी और फिर अक्षयवट व बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगी। लगभग पांच घंटे का उनका महाकुंभ नगर में कार्यक्रम है। उनके आगमन को लेकर प्रयागराज मेला प्राधिकरण तथा जिला पुलिस व प्रशासन की ओर से तैयारियां तेज कर दी गई हैं। राष्ट्रपति के स्नान के दौरान संगम तट समेत सभी स्नान घाटों पर आम श्रद्धालु डुबकी लगा सकेंगे। अलबत्ता स्नान घाटों पर सुरक्षा तगड़ी रहेगी।

पांच को महाकुंभ आए थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पांच फरवरी को जब संगम में डुबकी लगा रहे थे तो श्रद्धालुओं के स्नान पर कोई रोक नहीं थी। राष्ट्रपति के स्नान के दौरान संगम में नावों के संचालन पर रोक रहेगी। बोट क्लब, किला घाट, वीआइपी घाट किला, अरैल घाट की जेटी प्रतिबंधित रहेंगी।

वाहनों का आवागमन भी रहेगा बंद
उनके आने पर अरैल व संगम से लेकर किला व हनुमान मंदिर तक वाहनों का आवागमन भी बंद रहेगा। राष्ट्रपति दोपहर में लगभग 12 बजे त्रिवेणी स्नान को पहुंचेंगी। स्नान के बाद गंगा की पूजा और आरती करेंगी। राष्ट्रपति के लौट जाने के बाद ही नावों का संचालन हो सकेगा।

11 बजे आएंगी राष्‍ट्रपत‍ि
राष्ट्रपति का स्नान माघ महीने की एकादशी के शुभ अवसर पर होगा। वह दिल्ली से विशेष वायुयान से प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट पर दिन में लगभग 11 बजे पहुंचेंगी, जहां से हेलीकॉप्टर से महाकुंभ नगर के अरैल क्षेत्र में डीपीएस हेलीपैड पर उतरेंगी।

निषादराज क्रूज से संगम जाएंगी द्रौपदी मुर्मू
वहां से कार से वह अरैल वीवीआइपी जेटी से निषादराज क्रूज से संगम जाएंगी। इसी तरह वह बमरौली एयरपोर्ट लौटेंगी, जहां से शाम चार बजे के करीब वह दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगी।

47000 KM साइकिल चलाकर महाकुंभ पहुंचे अभिषेक
महाकुंभ नगर। महाकुंभ में आस्था के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। शुक्रवार को देवरिया जिले से साइकिल से महाकुंभ में स्नान करने के लिए अभिषेक यादव पहुंचे। उन्होंने बताया कि बीते 19 दिसंबर से उन्होंने साइकिल चलाना शुरू किया था।

इस दौरान वह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा से होते हुए महाकुंभ में स्नान करने के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि यह यात्रा उन्होंने शहीद सेना के जवानों के सम्मान के लिए शुरू की है। 900 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में वह 47 हजार किमी तक साइकिल चलाएंगे। इस दौरान वह लोगों से वर्ष 1962 में भारत-चीन में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की मदद करने की अपील भी करेंगे।