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बरेली के IVRI के दीक्षांत समारोह में स्टूडेट्स को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मेडल और उपाधि प्रदान की

बरेली

बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि प्लेग महामारी के बाद अस्तित्व में आए इस विश्वस्तरीय संस्थान ने पशु संबंधी बीमारियों के निदान से लेकर जैव सुरक्षा तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां से डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को संदेश दिया है कि वह सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया: की भावना से सबके कल्याण की दिशा में काम करें।

मुख्य अतिथि राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं से कहा कि प्रकृति का पारिस्थितिकी चक्र बनाए रखने के लिए पशुओं व जीव जंतुओं का निरोग होना आवश्यक है। आपने महसूस किया होगा कि कुछ ही वर्षों में गिद्ध विलुप्त से हो गए हैं जबकि मानव, प्रकृति व पशु सभी एकदूसरे पर आधारित हैं। इसी तरह अन्य जीवों की मौजूदगी आवश्यक है। नए पशु चिकित्सक और वैज्ञानिक इस दिशा में काम करें। उन्होंने वेदों का जिक्र करते हुए कहा कि पशुओं से देवताओं का संवाद होता है, इसलिए उनकी बीमारियों के निदान के लिए नए प्रयोग होते रहने चाहिए। कहा कि वह खुद जिस परिवेश से आई हैं, वहां पशुओं के बिना किसान तरक्की नहीं कर सकते।

राष्ट्रपति ने आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को पीएचडी की उपाधि और मेडल प्रदान किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा- बीमारी के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इसमें IVRI की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा- मैं जिस परिवेश से आती हूं वो प्रकृति के निकट है।

संस्थान ने हासिल कीं कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां राष्ट्रपति ने कहा- 1889 में स्थापित इस संस्थान ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की।

उन्होंने कहा- प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर' कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों के रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए गर्व का विषय़ है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए।

डिग्री लेने वालों में छात्राओं की ज्यादा संख्या देखकर राष्ट्रपति ने खुशी जताई। कहा कि प्राचीन काल से घरों में माताएं-बहनें ही पशुओं की सेवा करती आई हैं। इसलिए वह यकीन करती हैं कि महिलाएं पशु रोगों के निदान में ज्यादा कारगर साबित हो सकती हैं। जब आप लोगों ने पशु सेवा का यह जरिया चुन लिया है तो सभी के कल्याण के लिए काम कीजिए।

राज्यपाल बोलीं- वैज्ञानिक गांवों में जाएंगे तो दूर होगी समस्या
प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि वैज्ञानिक व चिकित्सकों को चाहिए कि वह गांवों में जाकर धरातल पर पशुओं से संबंधित रोगों के निदान पर काम करें। गांव में किसान व महिलाएं आपको इस बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से बताएंगे, तभी आप अच्छा उपचार कर सकेंगे। 

यह भी कहा कि आप लोग पशु चिकित्सा व शोध के लिए सरकार से आर्थिक मदद ले सकते हैं, ऐसा करके आप कृषि व पशु संरक्षण को बेहतर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों को मेडल नहीं मिला है, वह निराश न हों और इसके लिए अभी से ज्यादा मेहनत करें।

पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रहीं बेटियां राष्ट्रपति ने उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा-पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है।

उन्होंने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि मां, बहन गायों की सेवा करती थीं। गायों व पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव अधिक है। इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा।

मानव, जानवर, वनस्पति व पर्यावरण एक-दूसरे पर हैं आश्रित राष्ट्रपति ने कहा- वन हेल्थ की अवधारणा महत्वपूर्ण होती जा रही है। माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर, वनस्पति व व्यापक पर्यावरण एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परंपरा व इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चााहिए।

प्रमुख पशु संस्थान के रूप में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जेनेटिक बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है। उसका उपयोग जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।

पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं। यह पशु खेती में सहयोग करते हैं। आज टेक्नोलॉजी तो आई, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं। इससे जमीन बंजर हो रही है। जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व आमजन को सोचना चाहिए। पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए।

टेक्नोलॉजी के प्रयोग से लाए जा सकते हैं क्रांतिकारी बदलाव राष्ट्रपति ने कहा- टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। टेक्नोलॉजी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सा को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी, एआई, बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे टेक्नोलॉजी के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं।

आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान और पोषण उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी व सस्ते उपाय ढूंढने चाहिए। साथ ही उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइड इफेक्ट्स न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों व पर्यावरण को भी प्रभावित करते रहे हैं।

सीएम योगी बोले- 7 मंदिरों को नाथ कॉरिडोर के रूप में विकसित कर रहे

CM योगी ने कहा-मैं बताना चाहता हूं कि ये भारत की पौराणिक नगरी है और पांचाल देश के रूप में महाभारत कालखंड में इसकी पहचान थी। यहां 7 प्राचीन महादेव के मंदिर थे। जिन्हें हम वर्तमान में नाथ कॉरिडोर के रूप में विकसित कर रहे हैं। इनमें अलखनाथ मंदिर, त्रिवटी नाथ मंदिर, वनखंडी नाथ मंदिर, धोपेश्वर नाथ मंदिर, तपेश्वर नाथ मंदिर, मणिनाथ मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर यह इस बरेली की पौराणिक पहचान के प्रतीक है।

उन्होंने कहा- कोविड-19 के प्रारंभिक समय में जांच एक चुनौती थी। लेकिन IVRI आगे आया और एक नोडल केंद्र के रूप में यूपी सरकार का सहयोग किया। यानी केवल पशु पक्षियों के लिए ही नहीं मनुष्य के जीवन को बचाने के लिए कोविड-19 की जांच की और 2 लाख से अधिक जांच करने में बड़ी भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा- लंपी वायरस के लिए वैक्सीन बनाकर उन मूक पशुओं के आवाज को आपने शोध के माध्यम से एक नया जीवन में परिवर्तित करके अन्नदाताओं के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया है।

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