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दुश्मनों और आपदाओं से बचाने वाले उपग्रह के लिए हुई पूजा, कल लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बुधवार सुबह 5:27 बजे तमिलनाडु के श्रीहरिकोटा से रीसैट-2बी उपग्रह लॉन्च करेगा. इससे पहले मंगलवार को इसरो चेयरमैन के. सिवन ने तिरुपति के तिरुमला मंदिर में जाकर पूजा की. यह इसरो की परंपरा रही है कि सभी लॉन्च से पहले तिरुपति के तिरुमला मंदिर जाकर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है.

रीसैट-2बी उपग्रह पीएसएलवी-सी46 रॉकेट से लॉन्च होगा. यह पीएसएलवी की 48वीं उड़ान है और रीसेट सैटेलाइट सीरीज का चौथा उपग्रह है. इसका उपयोग टोही गतिविधियों, रणनीतिक निगरानियों और आपदा प्रबंधन में किया जाएगा. 300 किलोग्राम के रीसैट-2बी सैटेलाइट के साथ सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इमेजर भेजा जाएगा. इससे संचार सेवाएं निरंतर बनी रहेंगी. रीसैट-2बी 555 किमी की ऊंचाई पर स्थापित होगा.

रीसैट… सर्जिकल और एयर स्ट्राइक में की थी सेना की मदद

सभी प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम

यह उपग्रह प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा. इस उपग्रह के जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की उम्दा तस्वीरें ली जा सकती हैं. इस सीरीज के उपग्रहों को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए 26/11 मुंबई हमलों के बाद विकसित किया गया था.

‘सार’ से मिलेगी आपदा राहत और सुरक्षा में मदद

इसरो के मुताबिक, बादल रहने पर रेगुलर रिमोट सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट जमीन पर मौजूद चीजों की स्थिति ढंग से नहीं दिखा पाते. सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) इस कमी को पूरा करेगा. यह हर मौसम में चाहे रात हो, बादल हो या बारिश हो, ऑब्जेक्ट की सही तस्वीर जारी करेगा. इससे आपदा राहत में और सुरक्षाबलों को काफी मदद मिलेगी.

रीसैट के 6 सैटेलाइट लॉन्च की योजना

इसरो ने निकट भविष्य में रीसैट जैसे छह सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बनाई है. इनमें रीसैट-2बी के बाद रीसैट-2बीआर1, रीसैट-2बीआर2, रीसैट-1ए, रीसैट-1बी, रीसैट2ए प्रमुख हैं. ये सभी सैटेलाइट अंतरिक्ष में लगभग 500 किमी की ऊंचाई से ही देश की टोही क्षमता बढ़ाएंगे.

पाकिस्तान पर नजर रखेंगे इसरो के 5 कमांडो सैटेलाइट, सेना की ताकत बढ़ेगी

पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बड़ी तैयारी कर रहा है. अगले 10 महीनों में वो 8 उपग्रह छोड़ेगा. इनमें से 5 उपग्रह देश की धरती और पृथ्वी की निगरानी करेंगे. ये माना जा रहा है कि इन सभी उपग्रहों का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए होगा. इन 5 उपग्रहों में से एक कार्टोसैट सीरीज और 4 रीसैट के उपग्रह हैं. बाकी तीन उपग्रह जीसैट सीरीज के हैं. जीसैट उपग्रहों का उपयोग संचार के लिए किया जाता है. साथ ही इनका उपयोग सैन्य बलों की सुरक्षित संचार प्रणाली के लिए भी किया जाता है. फरवरी 2020 तक इन सभी उपग्रहों की लॉन्चिंग पूरी होने की उम्मीद है.

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