शिवपुरी
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में आने वाले शिवपुरी में भाजपा पार्षदों की नाराजगी देखने को मिल रहा है. यहां नगर पालिका में चल रहा राजनीतिक विवाद एक नया मोड़ ले चुका है. दरअसल, भाजपा पार्षदों ने कुछ दिन पहले नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में लापरवाही का आरोप लगाया. इसके बाद बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस और निर्दलीय समेत कुल 18 पार्षदों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने सभी पार्षदों के इस्तीफे नामंजूर कर दिए हैं.
पार्षदों के इस्तीफे नामंजूर होने से वर्तमान में नपा अध्यक्ष की कुर्सी का खतरा टल गया है. हालांकि, यह खतरा सिर्फ अस्थायी रूप से टला है. क्योंकि बताया जा रहा है कि कलेक्टर की जांच में अध्यक्ष गायत्री शर्मा दोषी पाई गई हैं और उनके खिलाफ जल्द ही सख्त कार्रवाई हो सकती है.
भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र शिवपुरी में यह घटना भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है. क्योंकि पार्टी के ही आधे से ज्यादा पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ एकजुट हो गए. इन पार्षदों में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद भी शामिल हैं. इन पार्षदों ने पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश में लगे थे. बीते 28 अगस्त को भाजपा के 12, कांग्रेस के 4 और दो निर्दलीय पार्षदों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपने इस्तीफे सौंपे थे.
नपा अध्यक्ष पर गिरेगी गाज
हालांकि, इनके इस्तीफे को नामूंजर कर दिया गया. कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने सभी पार्षदों के इस्तीफों को 'उचित कारण' न होने के चलते नामंजूर कर दिया. लेकिन सबसे खास बात यह है कि इस घटना के बाद कलेक्टर ने पार्षदों द्वारा लगाए गए नपा अध्यक्ष गायत्री शर्मा भष्ट्राचार के आरोपों की जांच की गई. जिसमें नपा अध्यक्ष को वित्तीय अनियमितताओं और अन्य गड़बड़ियों के लिए दोषी पाया गया है. इस मामले में इससे पहले दो पूर्व और एक वर्तमान सीएमओ को निलंबित हो चुका है. वहीं, अब नपा अध्यक्ष पर भी गाज गिरने की संभावना है.
बता दें कि शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा बीजेपी से आती हैं. जिनकी गिनती पूर्व खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के समर्थकों में की जाती है. इनको हटाने के लिए बीते दिनों उन्होंने करैरा में एक मंदिर में शपथ ली थी कि अगर अध्यक्ष को नहीं हटाया गया तो वे खुद इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद 18 पार्षदों ने इस्तीफा भी दे दिया. इस विवाद ने न सिर्फ स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी आपस में नाराजगी देखने को मिली.
कलेक्टर ने क्यों नहीं मजूंदर इस्तीफा
इस पूरे मामले को लेकर शिवपुरी कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने कहा, "पार्षदों द्वारा भ्रष्टाचार संबंधी जो भी आरोप और शिकायतें हैं, उन पर जांच और कार्रवाई चल रही है. जो भी तथ्य आएंगे उनके आधार पर कार्रवाई नियमानुसार की जाएगी. पार्षद अगर इस्तीफा व्यक्तिगत स्वास्थ्य, पारिवारिक कारणों को बताते हुए देते, जिनके कारण वह बतौर पार्षद समय नहीं दे पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में इस्तीफे पर विचार किया जाता. सिर्फ अध्यक्ष या किसी अन्य पर आरोप इस्तीफे का प्रमाणिक कारण नहीं है.