• 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी 11वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में बनी है, जो बैठने की मुद्रा वाली दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है
• महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी 13 फरवरी, 2022 को 120 किलो सोने से बने रामानुज वाले आंतरिक कक्ष का अनावरण करेंगे
आम सभा, हैदराबाद : माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 5 फरवरी, 2022 के दिन दुनिया को स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी समर्पित करेंगे। यह 11वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची प्रतिमा है, जो एक क्रांतिकारी समाज सुधारक थे। स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी का परिसर 45 एकड़ में फैला हुआ है, जो शमशाबाद, हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी 13 फरवरी, 2022 को 120 किलो सोने से बने रामानुज वाले आंतरिक कक्ष का अनावरण करेंगे।
इन आयोजनों के साथ-साथ आधुनिक इतिहास की सबसे अधिक 1035 यज्ञ आहुतियां दी जाएंगी तथा सामूहिक मंत्र जाप जैसी आध्यात्मिक गतिविधियां संपन्न की जाएंगी। यह सब श्री रामानुज सहस्राब्दी ‘समारोहम’ के अंग के रूप में आयोजित किया जाना है। ये कार्यक्रम इन संत की 1000वीं जयंती मनाने के निमित्त हो रहे हैं। आयोजन 2 फरवरी, 2022 से आरंभ होंगे। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, एचएच चिन्ना जीयार स्वामी के साथ इस आयोजन की सह-मेजबानी करेंगे। कई अन्य मुख्यमंत्री, राजनेता, मशहूर हस्तियां और अभिनेता भी इस समारोह में शामिल होंगे।
1000 करोड़ रुपये की इस परियोजना को पूरी तरह से भक्तों द्वारा वैश्विक स्तर पर मिले दान से वित्तपोषित किया गया था। आंतरिक गर्भगृह के मुख्य देवता श्री रामानुजाचार्य 120 किलो सोने के हैं, जो उनके पृथ्वी पर अवतरित होने के 120 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाए गए हैं। बाहरी 216 फीट की स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी बैठने की मुद्रा वाली दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। यह ‘पंचलोहा’ से निर्मित है, जो पांच धातुओं का मिश्रण है: सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता। परिसर में रहस्यवादी अलवार तमिल संतों के साहित्य में उल्लिखित 108 अलंकृत नक्काशीदार विष्णु मंदिरों की 108 दिव्यदेसम प्रतिकृतियां मौजूद हैं।
श्री पेरुम्बदूर, तमिलनाडु में 1017 के दौरान जन्में श्री रामानुजाचार्य ने इस मूलभूत विश्वास के दम पर कि राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना प्रत्येक मानव समान है, लाखों लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, लैंगिक, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से मुक्ति दिलाई थी। उन्होंने भयंकर भेदभाव के शिकार लोगों सहित हर व्यक्ति के लिए मंदिरों के दरवाजे खोल दिए थे। वह दुनिया भर के समाज सुधारकों के लिए समानता के कालातीत प्रतीक बने हुए हैं।
अपनी टिप्पणियों में एचएच चिन्ना जीयार स्वामीजी ने कहा, “हम स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी के भव्य उद्घाटन हेतु मुख्य अतिथियों, गणमान्य व्यक्तियों, भक्तों और जीवन के हर क्षेत्र के लोगों सहित सभी का अंतःकरण से स्वागत करते हैं। भगवद् रामानुजाचार्य 1000 वर्षों तक समानता के सच्चे प्रतीक बने रहे हैं और यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि उनकी शिक्षाओं को आगे कम से कम 1000 वर्षों तक अमल में लाया जाए। हमारा मिशन यह है कि स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को समूचे विश्व के लोगों के लिए सांस्कृतिक रूप से सर्वोपरि गंतव्य बनाना जाए और दुनिया को अधिक समानतापूर्ण ढंग से रहने लायक जगह बनाने हेतु सभी को प्रेरित किया जाए। आज पूरा विश्व विभाजन और लोकलुभावनवाद से भरा हुआ है, ऐसे में श्री रामानुजाचार्य की विचारधारा समय की मांग है। वैष्णववाद के ध्वजाधारी भगवद् रामानुज ने समानता के कालातीत संदेश का प्रचार-प्रसार करने हेतु वेदों के मूलतत्व और प्राचीन ज्ञान को सारभूत किया। अंतर्निहित रूप से भेदभाव रहित होना और बराबरी का भाव रखना जीवन की आधारशिलाएं हैं।”
इस परियोजना का शिलान्यास 2014 में किया गया था। ‘भद्र वेदी’ नामक 54 फीट ऊंची मूल इमारत में एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथों, एक थिएटर, एक शैक्षिक गैलरी तथा श्री रामानुजाचार्य के साहित्यिक कार्यों का विवरण देने वाले एक बहु-भाषी ऑडियो टूर के लिए समर्पित मंजिलें मौजूद हैं।