लखनऊ
नरेंद्र मोदी गुरुवार को प्रधानमंत्री के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेंगे। भाजपा को शानदार जीत दिलाने वाले यूपी की उनके मंत्रिमंडल में कितनी भागीदारी होगी, इस पर सबकी नजरें लगी हैं। पीएम खुद यूपी का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रधानमंत्री के अलावा 10 से अधिक चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका मिलना तय माना जा रहा है।
पिछली बार जब भाजपा गठबंधन ने यूपी से 73 सीटें जीती थीं तो पीएम मोदी के अलावा उनकी टीम में 14 चेहरे यूपी से थे। यूपी का सिक्का इससे समझा जा सकता है कि एक समय में पीएम के अलावा गृह व रक्षा जैसे विभाग भी यूपी के ही हिस्से थे। मनोहर पर्रिकर को गोवा मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद रक्षा विभाग तो चला गया लेकिन बाद में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूपी का प्रतिनिधित्व किया। इस बार सपा-बसपा के एक साथ चुनाव लड़ने के बाद भी यूपी ने 64 सीटों से भाजपा गठबंधन की झोली भर दी है। इसमें कन्नौज, फिरोजाबाद और अमेठी जैसे विपक्ष के गढ़ भी शामिल हैं। ऐसे में मजबूत भागीदारी की संभावना पूरी है।
क्षेत्रीय व जातीय भागीदारी पर नजर
केंद्र की सियासत में यूपी की अहम भूमिका को देखते हुए यहां से चेहरों के चुनाव में भी समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा। जातीय समीकरणों को तोड़ने के लिए पूर्वांचल व अवध की मंत्रिमंडल में अधिक भागीदारी होनी तय है। वेस्ट यूपी व बुंदेलखंड से भी चेहरे चुने जाएंगे। जिस तरह से सभी जातियों में भाजपा को समर्थन मिला है मंत्रिमंडल में भी उसका असर दिखेगा। अन्य चेहरों के अलावा मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल, कैराना से सांसद बने गुर्जर चेहरे प्रदीप कुमार चौधरी बुलंदशहर सुरक्षित सीट से सांसद भोला सिंह व कन्नौज से डिंपल यादव को हराने वाले सुब्रत पाठक व महेश शर्मा का नाम भी दावेदारों में शामिल है।
आज सुबह सांसदों को सूचित करेंगे मोदी
माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट में जिन सांसदों को रखेंगे वह उन्हें गुरुवार सुबह ही सूचित कर देंगे। ये भी अटकलें हैं कि मोदी शपथ ग्रहण समारोह से पहले अपनी नई कैबिनेट टीम से मुलाकात भी कर सकते हैं।
वॉर म्यूजियम और वाजपेयी की समाधि पर भी जाएंगे
शपथ ग्रहण समारोह से पहले पीएम मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर भी जाएंगे। इसके बाद वह नैशनल वॉर म्यूजियम में जाकर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
ये हैं प्रमुख दावेदार
राजनाथ सिंह : लखनऊ से दूसरी बार सांसद बने राजनाथ सिंह पार्टी के वरिष्ठतम चेहरों में एक हैं।
मेनका गांधी: सुल्तानपुर से कड़े मुकाबले में जीती मेनका 8 वीं बार संसद पहुंची हैं। अटल सरकार में पहली बार मंत्री बनी। मोदी सरकार पार्ट 1 में कैबिनेट मंत्री हैं।
स्मृति इरानी: केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने इस बार अमेठी से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर गांधी परिवार का किला कब्जाया है।
संतोष गंगवार: 8वीं बार बरेली से सांसद संतोष कुर्मी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं। पार्टी के पुराने चेहरे हैं, इस समय केंद्र में स्वतंत्र प्रभार मंत्री का चार्ज है।
अनुप्रिया पटेल: भाजपा के सहयोगी दल अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव अनुप्रिया का गठबंधन कोटे से मंत्री बनना तय है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी राज्यमंत्री रहीं।
महेंद्र नाथ पांडेय: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। ब्राह्मण चेहरे हैं। मोदी सरकार में राज्यमंत्री थे। उसके बाद उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। यूपी में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जीतने वाले पहले सांसद हैं।
मनोज सिन्हा: केंद्रीय राज्य मंत्री मनोज सिन्हा इस बार गाजीपुर से चुनाव हार गए हैं। अमित शाह के खास माने जाने वाले सिन्हा को मंत्री बनाकर राज्यसभा लाया जा सकता है।
साध्वी निरंजन ज्योति: फतेहपुर से सांसद निरंजन ज्योति निषाद समाज से आती हैं। मोदी सरकार में राज्यमंत्री हैं। निषाद वोटरों का साथ भाजपा को मिल रहा है।
भानु प्रताप वर्मा: जालौन से पांचवी बार सांसद बने भानु प्रताप वर्मा दलित समुदाय से आते हैं। बुंदेलखंड में पार्टी के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं।
रमापति राम त्रिपाठी: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति देवरिया से कलराज मिश्र की सीट से पहली बार सांसद बने है। पूर्वांचल में ब्राह्मणों की भागीदारी के लिहाज से मौका मिल सकता है।
शिव प्रताप शुक्ला: राज्यसभा सांसद हैं। गोरखपुर के रहने वाले हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिनों में राज्यमंत्री बनाए गए थे। ब्राह्मणों को साधने के लिए मौका दिया जा सकता है।
एसपी सिंह बघेल: चौथी बार लोकसभा पहुंचे बघेल एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल आगरा सुरक्षित सीट से जीते हैं। केंद्र में मौका मिल सकता है।
रीता बहुगुणा जोशी: इलाहाबाद से सांसद रीता योगी कैबिनेट में मंत्री हैं। कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहीं रीता पर्वतीय ब्राह्मण हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी होने के चलते इनकी अगुवाई का फायदा उत्तराखंड तक मिल सकता है।
रामशंकर कठेरिया: आगरा के पूर्व सांसद कठेरिया इस बार मुलायम के गढ़ इटावा से जीते हैं। वेस्ट यूपी में पार्टी के दलित चेहरे हैं। इस समय एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष हैं।
सत्यपाल सिंह: बागपत से जयंत चौधरी को हरा कर दूसरी बार किले में सेंध लगाई है। जाट चेहरे हैं। मौजूदा सरकार में भी राज्यमंत्री है।
संजीव बालियान: मुजफ्फरनगर से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। इस बार चौधरी अजित सिंह को हरा इस सीट से चौधरी परिवार के न जीतने का रेकॉर्ड बरकरार रखा। जाटों में अच्छी पकड़ होने के साथ हिंदुत्व का टैग भी दावेदारी मजबूत करता है।
वीके सिंह: रिटायर्ड सेनाध्यक्ष वीके सिंह इस बार भी 5 लाख से अधिक वोटों से जीतकर अपनी धमक बनाए हुए हैं। पहले कार्यकाल में भी मंत्री रहे हैं।
पंकज चौधरी: महराजगंज से सांसद पंकज छठीं बार संसद पहुंचे हैं। पार्टी के पुराने चेहरे हैं। पूर्वांचल में कुर्मी वोटरों में संदेश देने के लिए आगे बढ़ाए जा सकते हैं।