बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह के हाथ से गृह मंत्रालय निकल कर अमित शाह के पास पहुंच गया है. शुक्रवार को हुए मंत्रालयों के बंटवारे में राजनाथ सिंह की जगह अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्रालय की कमान दी है. गृह मंत्रालय के बारे में कहा जाता है कि इसकी कमान मिलने का मतलब है सरकार में नंबर दो की हैसियत. यूं तो मंत्रियों की सूची में पीएम मोदी के बाद राजनाथ सिंह का ही नाम है, मगर उन्हें सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले गृ मंत्रालय की जगह रक्षा मंत्रालय ही मिला है.
खास बात है कि गुरुवार को मंत्रियों के शपथ लेने के क्रम से भी सस्पेंस बनाकर रखा गया. राजनाथ सिंह ने 2014 की तरह ही इस बार भी पीएम मोदी के तुरंत बाद पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी. माना जा रहा था कि वह दोबारा गृहमंत्री बनेंगे. वहीं अमित शाह के तीसरे स्थान पर शपथ लेने से उनके वित्त मंत्री बनने की अटकलें थीं. मगर अगले दिन शुक्रवार को जब मंत्रालयों का बंटवारा हुआ तो नंबर तीन पर शपथ लेने वाले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की पोजीशन नंबर दो पर आ गई. इसी के साथ एक बार फिर पीएम मोदी ने चौंकाने वाला फैसला किया.
केंद्र में ‘गुजरात मॉडल’
अमित शाह को गृहमंत्री बनने का पहले से अनुभव रहा है. यह दीगर है कि पहले वह अपने गृहराज्य गुजरात में गृहमंत्री थे. दरअसल, गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को गृहमंत्री बनाया था. वह 2003 से 2010 तक इस पद पर रहे थे. इस प्रकार देखा जाए तो अब केंद्र में अमित शाह उसी भूमिका में आ गए हैं, जो भूमिका वह गुजरात में निभा चुके हैं. अंतर बस राज्य और केंद्र का है.
शाह का राजनीतिक करियर
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह पांच बार विधायक रह चुके हैं. गुजरात के सरखेज विधानसभा सीट से जहां वह चार बार क्रमश: 1997 (उप चुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायक बने, वहीं 2012 में नारनुपरा विधान सभा सीट से जीते थे. वहीं 2014 में राजनाथ सिंह के मोदी सरकार में गृहमंत्री बनने के बाद वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. बाद में गुजरात से राज्यसभा सांसद हुए. इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गांधीनगर सीट से साढ़े पांच लाख से अधिक वोटों से बंपर जीत हासिल की.