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ओवैसी भाषण भड़काऊ देते हैं, पर उन्हें मुस्लिम नेता कहलाना पसंद नहीं

चार मीनार के पास घनी आबादी वाली एक बस्ती। सड़क के दोनों तरफ छोटे-मोटे कारोबार करने वालों की दुकानें हैं। एक तरफ एक मस्जिद है, दूसरी तरफ इस्लामिक लाइब्रेरी एंड रीडिंग रूम का बोर्ड। इन सबके बीच बाज़ार में एक स्टेज खड़ा कर दिया गया है। मंच पर वक्ता गरमा-गरम तकरीरें कर रहे हैं। नीचे कुर्सियों पर बैठे श्रोता जुमला पसंद आने पर ‘नाराए तकबीर, अल्लाहो अकबर’ के नारे लगाते हैं।

पर ये सब टाइम पास वक्ता हैं। लोगों को मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी का इंतज़ार है, जो हैदराबाद से सांसद हैं, और जोशीले, चुटीले और लच्छेदार भाषणों के लिए मशहूर हैं। पर उसके पहले उनके छोटे भाई विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी तशरीफ़ लाते हैं, जो अभद्र भाषा और भड़काऊ भाषणों के लिए सुर्ख़ियों में रहते हैं।

उनका भाषण ख़त्म होते-होते मीटिंग में एक बिजली सी दौड़ जाती है। असदुद्दीन ओवैसी आ चुके हैं। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग कुर्सियों पर खड़े हो जाते हैं। ओवैसी लोगों को धार्मिक नारे लगाने के लिए झिड़कते हैं। पर वे उन्हें निराश भी नहीं करते। शुरुआत में ही वे अपने उस विवादास्पद भाषण का जिक्र करते हैं जिसमें पुलवामा हमले के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि लगता है कि वे ‘बड़े की बिरयानी खाकर सो गए थे।’

‘लोगां मेरे कू बोला कि वो गोश्त नहीं खाते। अब मेरे को क्या मालूम कि क्या खाते। चलो, मान लिया भाई। तो अब मैं पूछता, क्या वे ढोकला खाकर सो गए थे? इडली बड़ा खाकर सो गए थे? वेजिटेबल बिरयानी खाकर सो गए थे?’ ‘नरेंदर मोदी ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल को स्टेट बैंक का 1500 करोड़ दे दिया। बाप की जागीर है? देश के पैसे पर महबूब की मदद! मैं बोलां बाप के जागीर, तो इसपर बोलेंगे। मैं तो बोलेंगा। क्या करते तुम?’

हैदराबाद लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग आधी है। वे ओवैसी के ऐसे ही बोलों पर फिदा हैं। 49 साल के ओवैसी दो बार विधान सभा और तीन दफा लोक सभा जीत चुके हैं। 1984 से मजलिस ने क्षेत्र में आज तक कभी हार का मुंह नहीं देखा। असदुद्दीन के पहले उनके वालिद एमपी थे।

ओवैसी कहते हैं, ‘मैं अपने को केवल मुस्लिम नेता के रूप में नहीं देखता हूं।’ लंदन से बैरिस्टरी पढ़े ओवैसी इस्लामिक स्टेट को ‘जहन्नुम के कुत्ते’ कह चुके हैं और अपने आप को ‘ख्वाजा अजमेरी की जमीन की हिंदुस्तान की साझा संस्कृति’ का नुमाइंदा मानते हैं। पर भड़काऊ भाषणों की वजह से उनकी तुलना मोहम्मद अली जिन्ना से होती है। यही वजह है कि उनकी पार्टी को हैदराबाद के बाहर आजतक कोई खास कामयाबी नहीं मिल सकी है।

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