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सावन माह के दूसरे सोमवार को काशी में उमड़ा जनसैलाब, मंदिर के बाहर 3 किमी लंबी लाइन

वाराणसी

सावन के दूसरे सोमवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर समेत तमाम शिव मंदिरों में भक्त उमड़ पड़े हैं. इसके साथ ही भोले बाबा को जल चढ़ाने के लिए कांवड़ियों का जत्था भी पहुंच गया है. रविवार रात से ही कई प्रमुख धार्मिक स्थलों के बाहर दर्शन और जल अर्पण करने के लिए कांवड़ियों की लाइन लग गई. सोमवार सुबह से ही भोले के गीत गाते श्रद्धालु मंदिरों की ओर बढ़ते रहे. इसी क्रम में आगरा देवाधिदेव महादेव की भक्ति में डूब गया है. आगरा में रविवार शाम चार बजे से शिव भक्त अपने अपने क्षेत्र से परिक्रमा को निकले तो शहर में बम बम भोले के जयकारे गूंजने लगे. माथे पर बाबा के नाम का चंदन, मुंह पर हर-हर महादेव के नारे संग नंगे पैर ही शिव भक्त नाचते और गाते आगे बढ़े. देर रात से महादेव मंदिर में शिव भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं. सुबह बल्केश्वर महादेव मंदिर पर जलाभिषेक के बाद परिक्रमा पूरी होगी. रविवार देर शाम बल्केश्वर महादेव मंदिर का उद्घाटन हो गया है.

बता दें कि आगरा के चारों कोने पर प्राचीन शिव मंदिर हैं. जिनमें पूर्व में बल्केश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, उत्तर में कैलाश महादेव मंदिर और दक्षिण में राजेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं. शहर के बीच में बाबा मनकामेश्वर महादेव विराजमान हैं. जिससे शहर में ऊं नम शिवाय और बम-बम के जयघोष गूंज रहे हैं. सावन के दूसरे सोमवार को बल्केश्वर महादेव मंदिर मेला की पूर्व संध्या पर आगरा में लाखों श्रद्धालु 42 किमी की नगर परिक्रमा कर रहे हैं. लाखों श्रद्धालु नंगे पैर रातभर शहर के चारों कोनों पर स्थित महादेव मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करेंगे. परिक्रमा के मार्ग में जगह-जगह पर भंडारे लगते हैं. 

प्रयागराज के सोमेश्वर महादेव में उमड़ी भक्तों की भीड़

 पवित्र महीने सावन के दूसरे सोमवार सोमेश्वर महादेव में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने और पूजा-अर्चना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त से ही मंदिर में जुटने लगे थे. मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन, जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है.मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. मंदिर के महंत ब्रम्हचारी श्रीधरानंद बताते हैं कि स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ का वर्णन है, यह वही कामेश्वर धाम है. काम को भस्म करके भगवान शिव स्वयं यहां पर विराजमान हुए हैं. साथ ही ये भी बताया कि त्रेता काल में वनवास जाते वक्त प्रभु राम ने भी यहां शिव का पूजन और जलाभिषेक किया था.

'छोटी काशी' में उमड़ा शिवभक्तों का सैलाब, भीड़ के दबाव से रेलिंग टूटी

लखीमपुर खीरी में सावन माह के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। तड़के से ही शिव मंदिरों में भीड़ उमड़ने लगी। भक्तों ने लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर शिवलिंग के दर्शन किए और जलाभिषेक किया। गोला गोकर्णनाथ के पौराणिक शिव मंदिर में भगवान शिवन के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। यहां भारी भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन के इंतजाम भी ध्वस्त हो गए। मंदिर के मुख्य मार्ग पर लोहे के एंगल से बनाई गई दीर्घा भीड़ को रोक नहीं पाई और टूटकर गिर गई। हालांकि किसी के घायल होने की खबर नहीं है। घटनास्थल पर चप्पल-जूतों का ढेर बिखरा नजर आया। 

मंदिर में जलाभिषेक के लिए दोपहर 12 बजे के बाद तक कांवड़ियों की कतार लगी रही। कछला और हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए कांवड़ियों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। 

रविवार शाम गोला मार्ग पर कावड़ियों के जत्थे गोला गोकर्णनाथ के लिए रवाना होते रहे। कावड़ियों के जत्थे में भजनों की धुन पर नाचते हुए आगे बढ़ रहे थे। बच्चे और महिलाएं भी कांवड़ लेकर जाती दिखीं। 

लखीमपुर शहर के प्रमुख प्राचीन मंदिरों, भुईफोरवनाथ और जंगली नाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भुईफोरवनाथ मंदिर में महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइनें बनाई गई, जिससे व्यवस्था सुचारू रही। 

ओयल स्थित मेंढक मंदिर में भी शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने शिवलिंग पर दूध, जल और बेल पत्र चढ़ाकर पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिर परिसर जयकारों से गूंजता रहा। 

अयोध्या में उमड़े शिवभक्त, सरयू में डुबकी लगाकर किया जलाभिषेक

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में सुबह से ही सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर शिवभक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा है। बड़ी संख्या में कावड़िये, रामनगरी के स्थानीय जनमानस के अलावा आसपास के जिलों के श्रद्धालु भी रामनगरी पहुंचे हैं। भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की ओर से स्थापित सिद्धपीठ नागेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन पूजन कर रहे हैं। 

सुबह से ही श्रद्धालु मां सरयू में डुबकी लगाकर जल लेकर भगवान शिव के दरबार में कतारबद्ध होकर जलाभिषेक कर रहे हैं। भोर से ही दर्शन पूजन शुरू हो गया है। प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से व्यापक इंतजाम किए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल की तैनाती रामनगरी के प्रत्येक शिवालय और सरयू के घाटों पर की गई है। सावन का पवित्र माह शुरू हो चुका है। 

आज सावन का दूसरा सोमवार है। लिहाजा रामनगरी भगवान शिव के जयकारों से गूंज रही है। भोलेनाथ के पूजन का विशेष दिन सावन माह में रहता है। इस बार सावन में पांच सोमवार मिलेगा। इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक, जलाभिषेक और पूजन-अर्चन का विशेष महत्व रहेगा। दूर-दराज से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु भोलेनाथ का दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं। 

श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आशीर्वाद भी मांगा। अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु खुद को अभिभूत मानते हुए भगवान शिव का दर्शन पूजन कर रहे हैं। भोर में तीन बजे से ही दर्शन पूजन का दौर शुरू हुआ है। देर शाम तक चलता रहेगा।

बरेली में कावड़ियों ने थाने के सामने कार पर बरसाए ईंट-पत्थर

 बीसलपुर रोड पर एक कार की कावड़िए को साइड लगने के बाद गुस्साए साथियों ने कार में तोड़फोड़ कर दी. इतना ही नहीं, कावड़ियों ने थाने के सामने पुलिस की मौजूदगी में कार पर ईंट-पत्थर बरसा कर कार में तोड़फोड़ की. पुलिस वायरल वीडियो के आधार पर जांच कर कार्रवाई की बात कर रही है. पीलीभीत के बिलसंडा का कावड़ियों का एक जत्था रविवार को बीसलपुर की तरफ जा रहा था कि तभी बिथरी चैनपुर थाना क्षेत्र के कमुआ मोड़ पर अचानक एक कावड़िए के कार की साइड लगने से कावड़िए का मोबाइल टूट गया. वहां कार चालक और कांवड़ियों के बीच बहस हुई. मामला भुता थाने पहुंचा.

भुता थाने पहुंचे कांवड़ियों ने जमकर हंगामा काटा. भुता थाने के प्रभारी रविंद्र कुमार ने बताया कि पीलीभीत से कबाड़ियों का जत्था बरेली बीसलपुर मार्ग से होता हुआ बिलसंडा जा रहा था कि तभी भुता थाना क्षेत्र के कमुआ मोड पर एक गाड़ी से एक कावड़िया के साइड लग गई. कुछ कांवड़ियों ने गाड़ी पर ईंट फेंक दी. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक कर मामला शांत किया. वीडियो के आधार पर कार में तोड़फोड़ करने वालों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी.

 

दूसरे सोमवार पर काशी में हुई भक्तों पर पुष्प वर्षा, कावरियों की लंबी कतार के बीच विश्वनाथ मंदिर में जारी है दर्शन पूजन

 आज सावन का दूसरा सोमवार है. इस मौके पर वाराणसी बोलबम के जयकारों से गूंज रही है. श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगला आरती के साथ श्रद्धापूर्वक मंदिर का कपाट खोला गया. आरती के बाद धाम के बाहर मैदागिन एवं गोदौलिया की तरफ पंक्तिबद्ध श्रद्धालुओं पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारीगणों की उपस्थिति में पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया. 

औरंगजेब ने बंद कराई तो मराठों ने शुरू कराई थी आगरा की परिक्रमा

 आगरा की परिक्रमा को लेकर इतिहासकारों के अलग अलग दावे हैं. इतिहासकारों कहना है कि आगरा के प्राचीन शिवालय, राजपूत काल के हैं. हर मंदिर का गौरवमयी इतिहास है. मुगल बादशाह अकबर के समय राजा मानसिंह ने शिव मंदिरों को आश्रय दिया. वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि आगरा की परिक्रमा प्राचीन काल से लग रही है. औरंगजेब के समय परिक्रमा बंद कराई गई थी. सन 1775 में जब मराठाओं का प्रभुत्व बढ़ा तो 14 मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया.

तब से आगरा की परिक्रमा पुन: शुरू की गई थी. बल्केश्वर मेले का उद्घाटन सावन के दूसरे सोमवार को प्राचीन बल्केश्वर महादेव मंदिर पर भव्य मेला है. जिसका रविवार में उद्घाटन हो गया. बल्केश्वर महादेव मेला समिति की ओर से लगाए गए मेले का बल्केश्वर चौराहा पर केंद्रीय राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल ने महादेव के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करके उदघाटन किया. बल्केश्वर पार्क के मुख्य द्वार पर खाटू श्यामजी का दरबार भी सजाया गया जिसका. मेला समिति ने शिव भक्तों की सेवा के लिए खोया पाया केंद्र और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र का भी खोला है. मंदिर मंहत कपिल नागर ने बताया कि रविवार शाम से ही परिक्रमार्थी बड़ी संख्या में मंदिर में पहुंचकर भगवान का अभिषेक कर रहे हैं. मंदिर में रंग-बिरंगी विद्युत सजावट की गई है. मंदिर के गर्भगृह में किसी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. मन्नत पूरी हुई तो लगा रहे परिक्रमा आगरा की परिक्रमा को निकले बच्चे, युवा, पुरुष और बुजुर्ग का उत्साह देखते ही बन रहा है. शहर की सडकों पर शिव भक्तों का रैला उमडा है. ​हर ओर बम बम भोले और हर हर महादेव के नारे गूंज रहे हैं.

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