Thursday , December 5 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / किसान आंदोलन को राजनीतिक मंच बनाए जाने पर भड़के किसान मोर्चा के अध्यक्ष

किसान आंदोलन को राजनीतिक मंच बनाए जाने पर भड़के किसान मोर्चा के अध्यक्ष

बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने किसान आंदोलनों का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने विपक्षी दलों की ओर से इन आंदोलनों को राजनीतिक मंच बनाए जाने का विरोध किया और कहा कि किसानों के आंदोलन के साथ धोखा किया गया.

वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा, ‘कोई भी आंदोलन भारतीय लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया है. किसी आंदोलन से मैं असहमत नहीं होता हूं, लेकिन मेरी आपत्ति यह है कि ऐसे कई आंदोलन समस्या के समाधान के बजाए गुमराह कर देते हैं. जो आंदोलन के साथ धोखा करते हैं उससे मेरी आपत्ति है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अपनी समस्या के समाधान के लिए दिल्ली आए किसानों और किसान संगठनों से निवेदन किया कि आप जहां भी बुलाएंगे मैं संवाद करने के लिए तैयार हूं. मैं समाधान कराने के लिए तैयार हूं. सार्थक सुझाव भी मांगे लेकिन यह बात आगे नहीं बढ़ी. दुनिया में जितनी भी समस्या आईं उसका समाधान हुआ है.’

किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि यहां देशभर के किसान आए. उनकी समस्या का समाधान संवाद से निकल सकता था. हमने संवाद के लिए अपील भी की लेकिन किसी ने हमें आमंत्रित नहीं किया.

आंदोलन के मंच पर राजनीति

वीरेंद्र सिंह मस्त का कहना है कि किसान आंदोलन में विपक्ष के नेता मंच पर सत्ता को बदलने का आह्वान करने लगे. जो किसान अपनी समस्या के लिए आए थे उनकी समस्या पीछे छूट गई और विपक्ष के लोग अपनी बातें करने लगे. मेरी आपत्ति यह है कि विपक्ष के लोगों ने किसान आंदोलन को गुमराह किया. किसान आंदोलन के साथ धोखा किया.

मस्त का कहना है कि किसान आंदोलन के नाम पर राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले किसानों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं. किसान आंदोलन किसानों की समस्या के निराकरण या संवाद का जरिया बनाने की बजाए उसे यूपीए का राजनीतिक मंच बनाना बिल्कुल ठीक नहीं है. यह सरासर अनुचित है और देश के किसानों को गुमराह करने जैसा है.

किसानों के हाथ मायूसी

वीरेंद्र सिंह मस्त का कहना है कि देशभर से आए 200 से ज्यादा किसान संगठनों और किसानों के आंदोलन के नाम पर किसान को कुछ भी हासिल नहीं हुआ. इसके नाम पर जिस तरह से राजनीतिक मौकापरस्ती दिखाई गई है. उससे आंदोलन में आए किसानों के हाथ मायूसी लगी है. उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि किसान आंदोलन के नाम पर उनके साथ ऐसा छलावा किया जाएगा.

मस्त का यह भी कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को लेकर अगर कोई अनदेखी कर रही हैं तो उसे भी आंदोलन के मंच पर संवाद के जरिए बताया जा सकता था. ऐसे में किसान आंदोलन को किसान हित में किए जाने की बजाय इसे राजनीतिक मंच बनाना सही नहीं था.

बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि वह देशभर में ऐसे छलावे और भुलावे से भरे आंदोलन से किसानों को बचाने के लिए इस मुद्दे को उठाएंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)