पेट्रोल-डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर बैठक करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को तेल और गैस क्षेत्र की भारत समेत दुनिया की कंपनियों के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर्स (CEO) के साथ ताजा हालात पर मंथन करेंगे. बैठक में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से पड़ने वाले असर पर चर्चा होगी. प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक में करीब 40 कंपनियों के प्रमुख शामिल हैं.
इस बैठक का संयोजन नीति आयोग द्वारा किया जा रहा है. समझा जाता है कि बैठक में कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव और अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंध की चुनौतियों पर विचार विमर्श होगा.
सूत्रों ने बताया कि तीसरी सालाना बैठक में तेल, गैस खोज और उत्पादन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने पर भी चर्चा होगी. बैठक में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मोहम्मद बारकिंदो और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल होंगे.
सोमवार को भी बढ़े दाम
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की इस बैठक से पहले ही सोमवार को फिर डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, सोमवार को पेट्रोल के दाम में कोई बदलाव नहीं आया है. दिल्ली में आज पेट्रोल 82.72 और डीजल की कीमत 75.46 रुपये प्रति लीटर है. आपको बता दें कि 5 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में 2.5 रुपये की कटौती की थी, इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने भी ऐसा ही किया था. हालांकि, तब से अब तक लगातार जिस तरह पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं उससे वह कटौती लगभग पूरी ही हो गई है.
इनके अलावा बैठक में ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर, आईओसी के चेयरमैन संजीव सिंह, गेल इंडिया के प्रमुख बीसी त्रिपाठी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन मुकेश कुमार शरण, ऑइल इंडिया के चेयरमैन उत्पल बोरा और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन डी राजकुमार भी भाग लेंगे.
सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद ए अल फलीह, बीपी के सीईओ बॉब डुडले, टोटल के प्रमुख पैट्रिक फॉयेन, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल के सोमवार की बैठक में शामिल होने की उम्मीद है.
PM मोदी की इस बारे में पहली बैठक 5 जनवरी, 2016 को हुई थी, जिसमें प्राकृतिक गैस कीमतों में सुधार के सुझाव दिए गए थे. इसके एक साल से कुछ अधिक समय बाद सरकार ने गहरे समुद्र जैसे कठिन क्षेत्रों जहां अभी उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, के लिए प्राकृतिक गैस के लिए ऊंचे मूल्य की अनुमति दी गई थी.
अक्टूबर, 2017 में इसके पिछले संस्करण में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और ऑइल इंडिया के उत्पादक तेल और गैस क्षेत्रों में विदेशी और निजी कंपनियों को इक्विटी देने का सुझाव दिया गया था, लेकिन ओएनजीसी के कड़े विरोध के बाद इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका.