गुवाहाटी
असम सरकार ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस यानी एनआरसी के ड्राफ्ट में छूट पाने वाले 1 लाख से ज्यादा लोगों की सूची जारी की है। इस लिस्ट में 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित ड्राफ्ट में शामिल वे नाम हैं, जो बाद में इसमें शामिल किए जाने के लिए अयोग्य पाए गए थे। अब ये लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दावे दाखिल कर सकते हैं। असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने 1,02,462 लोगों की अतिरिक्त सूची जारी की है। इससे पहले एनआरसी का फाइनल ड्रफ्ट जारी होने पर पिछले साल राजनीतिक बवाल देखने को मिला था। इसमें राज्य के 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे।
शुक्रवार को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, सूची में उन लोगों को भी शामिल किया गया है, जो दावे और आपत्तियों के निपटारे के लिए आयोजित सुनवाई के दौरान अयोग्य पाए गए थे। जिन लोगों को इस लिस्ट से बाहर रखा गया है, उन्हें व्यक्तिगत रूप से उनके आवासीय पते पर दिए जाने वाले पत्र (एलओआई) के माध्यम से सूचित किया जाएगा और ऐसे व्यक्तियों को 11 जुलाई को नामित एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके) पर अपने दावे दर्ज करने का मौका मिलेगा।
एनआरसी के प्रकाशन से पहले सुलझाया जाएगा दावा
सरकार की ओर से विज्ञप्ति में बताया गया है कि 31 जुलाई को एनआरसी के अंतिम प्रकाशन से पहले उनके दावों को सुलझाया जाएगा। निवारण सूची को नामित एनआरसी सेवा केंद्र में उपायुक्त / एसडीओ (सिविल / सर्कल अधिकारी) के कार्यालय में प्रकाशित किया जाएगा, जहां गांव / वॉर्ड के लिए अतिरिक्त सूची मौजूद होगी। यह ऑनलाइन भी उपलब्ध होगा। जिन व्यक्तियों की स्थिति अतिरिक्त सूची में निष्कासन में बदल चुकी है, उन्हें अतिरिक्त सूची से बाहर रखने के रूप में रेखांकित किया जाएगा।
ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ में से 2.9 करोड़ का नाम
30 जुलाई 2018 को प्रकाशित एनआरसी के ड्राफ्ट में कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 2.9 करोड़ लोगों का नाम शामिल था, जबकि 40 लाख लोगों को छोड़ दिया गया था। 31 दिसंबर 2017 की रात को प्रकाशित पहले ड्राफ्ट में 1.9 करोड़ नाम थे। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम में एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। अंतिम सूची 31 जुलाई को जारी होने वाली है।
इस बीच फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बाद सोनितपुर की अमिला शाह को 15 जून को डिटेंशन सेंटर भेजा गया था। उनके बेटे भोला शाह का कहना है, ‘मेरी मां ने तेजपुर कोर्ट में सभी दस्तावेज जमा किए थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें विदेशी बताते हुए डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया।’
भोला शाह ने आगे कहा, ‘मेरी मां का जन्म प्रतापगढ़ टी एस्टेट में हुआ था और उनके पिता बिहार से ताल्लुक रखते थे। लंबे अरसे से मेरी मां असम में सेटल हैं। मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि बिहार का कोई शख्स असम में रहता है और उसे विदेशी घोषित कर दिया जाता है, यह किस तरह का न्याय है?’
क्या है नैशनल सिटिजन रजिस्टर
नए नैशनल सिटिजन रजिस्टर में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटो हैं। यह पहला मौका है, जब सूबे में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। देश में लागू नागरिकता कानून से थोड़ा अलग रूप में राज्य में असम अकॉर्ड, 1985 लागू है। इसके मुताबिक 24 मार्च, 1971 की आधी रात तक सूबे में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा।
इस रजिस्टर में उन्हीं लोगों के नाम शामिल किए जाएंगे, जो खुद को साबित कर पाएंगे कि उनका जन्म 21 मार्च, 1971 से पहले असम में हुआ था। साथ ही सूची में उन लोगों को भी शामिल किया गया है, जिनके वंशज देश की पहली जनगणना (1951) में शामिल थे या फिर जिनका नाम 24 मार्च, 1971 को असम की निर्वाचक नामावली में शामिल था।