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ब्राह्मणों को विद्वता का पाठ पढ़ा गए नियाज

* ब्राह्मण द ग्रेट के लेखक एवं आईएएस खान ने बुद्धजीवियों से चर्चा कर बताया भारत में ब्राह्मणों का महत्व

* फिल्म स्टार नहीं चाणक्य बनें युवाओं के रोल मॉडल, मुस्लिमों को भी रखना चाहिए ब्राह्मणों के प्रति सम्मान

(मुकेश तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार)
आम सभा, ग्वालियर।

ब्राह्मण ब्रह्मा की पवित्र रचना है, वह रचना जो उनके मुख से निकली है, मुख जो शरीर का सबसे पवित्र अंग होता है। इसलिए भारतीय वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। ब्राह्मण को चाहिए कि व मौजूदा परिवेश में समाज व राष्ट्र को दिशा प्रदान करे। क्योंकि ब्राह्मण ही है जो सदियों से अपने धर्म और कर्म से समाज व राष्ट्र को दिशा देते आए हैं।
यह कहना था मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के उप सचिव एवं ब्राह्मण द ग्रेट के लेखक नियाज खान का।
आईएएस नियाज खान गुरुवार को इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर एक शख्सियत कार्यक्रम में शहर के बुद्धजीवियों से रूबरू हुए। सेंटर के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय ने उनकी अगवानी कर भव्य स्वागत किया और स्वागत भाषण के जरिए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सारगर्भित रूप से प्रकाश डालकर शख्सियत की खासियत से परिचय कराया।
ब्राह्मणों को सीख तो मुस्लिमों को दी नसीहत
नियाज खान ने बेबाक अंदाज में अपनी बात कही। उन्होंने जहां सनातन काल से लेकर आधुनिक काल तक ब्राह्मणों के इतिहास को प्रतिबिंबित किया। उन्होंने कहा कि मुगलकाल हो या कोई भी काल ब्राह्मण कभी सत्ता का भूखा नहीं रहा लेकिन वह हमेशा समाज व राष्ट्र को दिशा प्रदान करता रहा। अकबर जैसे शासक के दरबार में नवरत्नों में ब्राह्मण ही उन्हें राज करने की नीति सिखाते रहे। चाणक्य ने बिना डरे शासक से अपनी बात कही और उसे अपनी बुद्धिमता के दम पर सत्ता से बेदखल कराकर अपनी प्रतिभा का लौहा मनवा दिया। जन्म से लेकर मरण तक इंसान को ब्राह्मण का सहारा ही लेना पड़ता है। लेकिन आज ब्राह्मण कहीं न कहीं अपनी जिम्मेदारियों को भूल सा गया है। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने से ही हम ब्राह्मण होने पर गर्व करें, इससे बात नहीं बनेगी। उन्हें वेदों का अध्ययन कर अपने ज्ञान को बढ़ाना होगा। जीवन में ब्राह्मण के भाव के साथ लोगों का भला करना होगा साथ ही समाज और राष्ट्र को दिशा प्रदान करनी होगी, ताकि हमारी संस्कृति और सभ्यता को कायम रख सकेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मणों एवं देशवासियों को बॉलीवुड का बहिष्कार करना चाहिए। क्योंकि फिल्म वाले हमेशा पंडितों का मजाक बनाते हैं और पात्रों के जरिए उपहास उड़ाते हैं। जब ब्राह्मण जागेगा तो समझो बॉलीवुड की अक्ल ठिकाने पर आ जाएगी। उन्होंने भूमि और गौ को माता के रूप में दर्शाते हुए कहा कि एक तरफ गौ को काटा जा रहा है और जमीन को टुकड़ों में बांटा जा रहा है। यह न्याय संगत नहीं हैं, जब दोनों को अपनी मॉं कहते हैं तो फिर इनके संरक्षण के लिए भी काम करना होगा।
उन्होंने मुस्लिम को भी नसीहत देते हुए कहा कि इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं का प्रदर्शन निषेध है। लेकिन बॉलीवुड में अधिकांश इसी कौम के लोग अर्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कोई बादशाह बन गया है तो किंग। लोग उन्हें अपना रोल मोडल कहते हैं। जो व्यक्ति पान, पुड़िया, गिगरेट और शराब का प्रचार करता हो वह कैसे किसी का आदर्श हो सकता है। लोगों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को चाणक्य जैसे महान ब्राह्मण को आदर्श बनाएं। ताकि उनमें अच्छे संस्कार जन्म लेंगे और वे सद्मार्ग पर चलकर अपने पूर्वजों को सम्मान कर संस्कारों को कायम रख सकेंगे। उन्होंने मुस्लिम भाईयों से आग्रह किया कि मुसलमान गौ रक्षक बनें, धर्म परिवर्तन का विरोध करें, किसी का धर्म ना बदलवाएं। जबरन धर्म बदलवाना इस्लाम में प्रतिबंधित है। अगर शाकाहार अपना सकें तो यह एक बेहतरीन प्रयास होगा। हालांकि शाकाहारी बनने को बाध्य नही किया जा सकता। हर मुस्लिम भाई ब्राह्मणों से मधुर संबंध रखें।
इस दौरान उन्होंने महंत रामदास महाराज जडे़रुआ धाम वाले एवं गंगादास की बड़ी शाला के महंतश्री रामसेवक दास महाराज का सम्मान कर उन्हें अपनी पुस्तक भेंट की और सच्चाई के मार्ग पर कायम रहने के लिए आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन महेश मुदगल एवं आभार व्यक्त आदेश सक्सेना ने किया।
इस मौके प बीएम शर्मा, सौरभ शर्मा, किशन मुदगल, विवेक सुढ़ेले, एसके शर्मा, एमडी पाराशर, राजेंद्र मुगदल, अरविंद जैमिनी, संतोष वशिष्ठ, विजय पाराशर, नासिर गौरी, बृजमोहन शर्मा, डॉ. नीलम दीक्षित, डॉ. अशोक मिश्रा एवं रामबाबू कटारे प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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