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भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए नेतृत्व क्षमता विकसित करने की आवश्यकता : डॉ. प्रणव पंड्या

-प्रणव प्रंडया ने कहा, आशावादी बने रहना है, निराश नहीं होना है

-इरा सिंघल ने कहा, लक्ष्य खुद की खुशी और क्षमता को देखकर ही बनाएं

आम सभा ब्यूरो/नई दिल्ली ।

गायत्री परिवार के प्रमुख और देव.संस्कृति विश्वविघालय के कुलाधिपति डॉ़ प्रणव प्रड्या ने रविवार को दिल्ली के दौलत राम कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से कहा कि भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाने लिए नेतृत्व क्षमता विकसित कीजिए। वहीं आईएस टॉपर इरा सिंघल इन छात्रों को परीक्षा से संबंधित जानकारी दी।

नई दिल्ली के दौलत राम कॉलेज में आयोजित युवाओं का समूह डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन (दिया) की तरफ से आयोजित ‘दिया अभ्युदय-2019’ कार्यक्रम में गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ़ प्रणव प्रड्या ने कहा कि दिल्ली का स्वास्थ्य नहीं बिगड़ना चाहिए, दिल्ली का स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तो देश का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सभी को पहले खुद मजबूत बनना होगा, खुद की क्षमताओं को विकसित करना होगा।

वहीं उन्होंने तैयारी करने वालों को सफलता के सूत्र बताते हुए कहा कि दूर दर्शिता, समग्र सोच, कल्पना शक्ति, स्वयं की क्षमता पर विश्वास करना, धैर्य और एकाग्रता के बारे में समझाते हुए इन पर पकड़ बनाने को कहा। आशावादी बने रहना है, निराश नहीं होना है। अपनी मनस्थिति को मजबूत बना लो, तो कठिन से कठिन परिस्थितियों को मात आसानी से दे सकोगे। डॉ़ प्रणव प्रड्या से धर्म और अध्ययात्म के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म दोनों अलग हैं, जबकि लोग अध्यात्म को ही धर्म समझते हैं।

हरिद्वार से देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रति कुलपति डा.चिन्मय पंड्या ने युवाओं से कहा कि जहां सूरज होता है, वहां अधिकार नहीं होता है। ऐसे में तनाव लेने की या निराश होने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि हम में से हर एक के पास अपार संभावनाएं हैं, जिनको कॉपी पेस्ट नहीं किया जा सकता। बस उन पर काम कर कंस से कृष्ण, रावण से राम, बुद्धू से बुद्ध, नर से नारायण बनने तक का सफर तय किया जा सकता है।
चिन्मय पंड्या ने ध्यान के बारे में बताते हुए कहा कि अपने आपको पूर्णता के साथ जानने का विज्ञान ही ध्यान है। हम वहीं जानते हैं, जो बाहर वाले हमारे बारे में बताते हैं। इसलिए हर रोज 10 से 15 मिनट का समय खुद के लिए निकालिये और खुद की समीक्षा स्वयं कीजिए, उसके बाद अपनी क्षमतानुसार लक्ष्य निर्धारित कीजिए।

2014 में सिविल सेवा परीक्षा टॉपर इरा सिंघल ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि आईएएस की तैयारी करने से पहले मैं निजी क्षेत्र में अच्छी जॉब कर रही थी। कंपनी में सबसे तेज ग्रो करने वालों में से एक थी, लेकिन तब मुझे लगा नहीं मुझे जीवन में कुछ और चाहिए। इसलिए जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित करो, तो पहले खुद से पूछो कि आखिर आप क्या चाहते हो। किसी को देखकर या किसी के कहने पर कोई काम करोगे, तो सफलता आधी-अधूरी ही हाथ लगेगी। उन्होंने कहा कि मेरी दिव्यांगता मेरे लक्ष्य में कहीं भी आड़े नहीं आई क्योंकि मुझे लोगों की तरह सिर्फ परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होना था, मुझे इस देश के लिए काम करना था। शायद इसीलिए मैं अपना सौ फीसदी दे पाई।

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में तीन लोगों से शुरू हुआ दिया ग्रुप में आज तकरीबन 35 हजार युवा हैं, जो समाज में सकारात्म बदलाव लाने के लिए विभिन्न कार्य कर रहे हैं।

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