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मिशन 2019: आरएसएस-विहिप राम मंदिर पर बीजेपी के लिए बना रहे आधार

राज्य मुख्यालयराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व विश्व हिन्दू परिषद सरीखे हिन्दुत्ववादी संगठन लोकसभा चुनावों से पहले राम मंदिर निर्माण के लिए 6 दिसम्बर 1992 से पहले का माहौल बनाने में जुट गए हैं। दोनों ही संगठन सुप्रीम कोर्ट पर तो कुछ कहने से बच रहे हैं लेकिन राम मंदिर निर्माण में कांग्रेस को सबसे बड़ी बाधा बताकर मुद्दे को सियासी धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।

शायद इसी मद्देनज़र विश्व हिन्दू परिषद 25 नवम्बर को धर्म सभा में दो लाख संतों और रामभक्तों को जुटाकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को कटघरे में खड़ा करने के एजेण्डा पर काम कर रहा है। यह कुछ उसी तर्ज पर किया जा रहा है जैसा 1992 में राममंदिर आंदोलन के दौरान किया गया। अब वे इसी मुद्दे को संतों और रामभक्तों के बीच ले जाकर भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में राह आसान करें तो हैरत नहीं।

पूरे देश में होंगी धर्मसभाएं

25 नवंबर को ही बंगलुरू और नागपुर में भी धर्मसभाएं होंगी। इसके बाद दो दिसम्बर को मुम्बई में और 9 दिसम्बर को दिल्ली में धर्मसभाएं होंगी। राम मंदिर न बनने के लिए कांग्रेस दोषी-विहिप विहिप के अवध प्रांत के संगठन मंत्री भोलेन्द्र कुमार कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के सामने कांग्रेस के नेता व वकील कपिल सिब्बल ने लोकसभा चुनाव तक सुनवाई टालने की याचिका दाखिल की थी। कांग्रेस ने कभी भी राममंदिर निर्माण नहीं चाहा। ऐसा कर उसने सवा सौ करोड़ हिन्दुओं के साथ विश्वासघात किया है। इसके लिए हिन्दू जनता कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि हिन्दू अब चुप नहीं बैठेंगे। हमारा संगठन 6 दिसम्बर 1992 से पहले के हालात पैदा करने के लिए बाध्य हो रहा है। सरकार से भी गुजारिश है कि जल्द कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण प्रशस्त करे। अन्यथा कारसेवक खुद ही मंदिर निर्माण में जुट जाएंगे। विहिप ने राम मंदिर निर्माण के लिए 18 दिसम्बर तक 25 हजार नए बजरंग दल कार्यकर्ताओं की भर्ती का फैसला किया है। अभी तक 10 हजार भर्ती हो चुकी है।

आरएसएस और विहिप की है ये योजना

आरएसएस और विहिप के सूत्रों के अनुसार राम मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने को लेकर जगह-जगह धर्मसभाएं और पदयात्राएं शुरू की जा रही हैं। इसी दौरान केन्द्र सरकार यदि मंदिर निर्माण के लिए कानून या अध्यादेश का सहारा लेती है तो यह भाजपा के लिए ही फायदेमंद होगा। भाजपा के इस फैसले का विरोध करने वाले विपक्षी दलों को हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाकर उन्हें लोकसभा चुनाव के मैदान में चित्त किया जा सकता है।

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