राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कहना है कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए महर्षि दयानंद ने जो मंत्र दिए थे उन्हीं की राह पर चलकर देश आज बुलंदियों पर पहुंच रहा है, साथ ही आर्य समाज की यज्ञ और शांति पाठ की परिकल्पना पर्यावरण की समस्या को मिटाने में अहम भूमिका निभा सकता है.
दिल्ली के रोहिणी में आर्य समाज की ओर से आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन (इंटरनेशनल आर्य महा सम्मेलन) का उद्घाटन शुक्रवार को महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया. उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने कानपुर में आर्य समाज के संस्थान में ली अपनी उच्च शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि अंधविश्वास, कुरीतियों और महिला सशक्तिकरण के साथ ही आधुनिक सोच के साथ शुरू हुए महर्षि दयानंद सरस्वती के महाअभियान को आगे बढ़ाना हम सभी का दायित्व है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपने जीवन और आंदोलनों में महर्षि दयानंद की परंपरा को ही आगे बढ़ाया. 19वीं सदी में ही महर्षि दयानंद ने महिला सशक्तिकरण पर बल देते हुए महिलाओं को पुरुषों के समान बताया था. आज महिलाओं की आजादी के लिए हो रहे तमाम आंदोलनों को प्रेरणा महर्षि दयानंद जी के आंदोलन से ही मिली है.
राष्ट्रपति कोविंद ने आर्य समाज को आधुनिक दौर का सबसे प्रासंगिक संगठन बताते हुए कहा कि पंथ, संप्रदाय, जाति-पाति जैसे बंधनों से मुक्त कर आर्य समाज मानव जाति को आर्य यानी श्रेष्ठ बनाने में सक्रिय है. भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए महर्षि दयानंद ने जो मंत्र दिए थे उन्हीं की राह पर चलकर देश आज बुलंदियों पर पहुंच रहा है. आर्य समाज की यज्ञ और शांति पाठ की परिकल्पना दुनिया की सबसे बड़ी पर्यावरण की समस्या को मिटाने में अहम है.
इससे पहले राष्ट्रपति कोविंद के उद्घाटन भाषण के बाद स्वागत समिति के अध्यक्ष एमडीएच के महाशय धर्मपाल ने राष्ट्रपति की एक तस्वीर और स्मृति चिन्ह उन्हें भेंट किया. चार दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन राष्ट्रपति के साथ ही केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, सत्यपाल सिंह, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के सुरेश चंद्र आर्य ने भी संबोधित किया.
इस महासम्मेलन में 32 देशों से आए आर्य समाज के लाखों प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 28 अक्टूबर तक चलेगा, जिसका समापन देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे.