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मोदी के राजतिलक से पहले ‘कोपभवन’ में ममता, क्या दांव खेल रही हैं दीदी

पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की मेहमान बनने को तैयार ममता बनर्जी बुधवार को अचानक भड़क गईं और ऐलान कर दिया कि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगी. उनका एक ऐलानिया बयान यह भी आया कि गुरुवार को वे नैहाटी में धरने पर बैठेंगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका कारण भी बताया और कहा कि ‘यह लोकतंत्र का जश्न मनाने का अच्छा अवसर है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी को कम करके आंकने का अवसर है.’

ममता को इस बात की नाराजगी है कि बीजेपी राज्य में 54 राजनीतिक हत्याएं होने की बात प्रचारित कर रही है. इनके परिवारों को शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बुलाया गया है. जबकि ममता का कहना है कि बंगाल में एक भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई. ममता बनर्जी का व्यक्तित्व धरने और विरोध प्रदर्शन से बना है. वह एक बार जो ठान लेती हैं, उससे पीछे मुड़ना उन्हें गंवारा नहीं होता. टाटा के नैनो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन के विरोध में सिंगूर में उन्होंने 26 दिन लंबा धरना दिया था और सीपीएम सरकार को घुटने टेकने पड़ गए थे.

ममता बनर्जी के बयान से साफ है कि चुनावी हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाना उन्हें रास नहीं आया. तभी उन्होंने पहले तो न्योता मंजूर किया लेकिन बाद में आने से मना कर दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में जता दिया कि ‘चुनावी हिंसा पर राजनीति’ उन्हें पसंद नहीं और इस मुद्दे को वे दूर तक ले जाएंगी. ममता बनर्जी उत्तर 24 परगना के नैहाटी नगरपालिका के सामने धरने पर बैठेंगी. यह बताना दिलचस्प है कि नैहाटी नगरपालिका के पार्षद भी मंगलवार को टीएमसी का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी उन टीएमसी कार्यकर्ताओं के समर्थन में धरने पर बैठने वाली हैं जो चुनाव के दौरान हिंसा की वजह से सड़क पर आ गए हैं.

दीदी का दांव

नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के दिन ही धरने पर बैठने का ऐलान कर ममता बनर्जी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि लोकसभा चुनाव की जंग में भले ही वे पिछड़ गई हों लेकिन इस राजनीतिक जंग से पीछे हटने वाली नहीं. ममता ने अपने धरने की वजह हालांकि राजनीतिक कार्यकर्ताओं का बेघर होना बताया है लेकिन उनका असली मकसद लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद जनता की संवेदना बटोरना है. नैहाटी में धरना ममता बनर्जी का तीसरा ऐसा धरना होगा जो केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए शुरू होगा. इससे पहले दो धरने सिंगूर और शारदा घोटाला मामले में कोलकाता में जांच एजेंसियों की छापेमारी से जुड़े हैं.

ममता बनर्जी का राइटर्स बिल्डिंग अभियान

1993 में ममता बनर्जी युवा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. उस साल राइटर्स बिल्डिंग (राज्य सचिवालय) पर एक घटना के दौरान कुछ युवा मारे गए. ममता बनर्जी ने उस घटना के बाद ठाना कि हर साल 21 जुलाई को वे शहीद रैली आयोजित करेंगी. एक अभियान में राज्य सचिवालय में पुलिस बल के साथ उनकी धक्का-मुक्की हुई, जिसमें उनकी साड़ी फट गई थी. इस घटना के बाद ममता बनर्जी ने प्रण किया कि जिस दिन बंगाल से वाम मोर्चे की सरकार का अंत होगा, उसी दिन वे राइटर्स बिल्डिंग में कदम रखेंगी. 18 साल तक ममता बनर्जी इस बिल्डिंग से दूर रहीं और 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उन्होंने राज्य सचिवालय में कदम रखा.

सिंगूर में 26 दिन का धरना

मामला 13 साल पहले का है. उस वक्त सिंगूर भूमि अधिग्रहण मामले में ममता बनर्जी बगावती तेवर में नजर आई थीं. दीदी के नाम से मशहूर ममता बनर्जी साल 2006 में लगातार 26 दिन तक धरने पर बैठी थीं. उनका विरोध टाटा नैनो कार प्रोजेक्ट को लेकर था. उन्होंने कहा था कि किसानों की भलाई में सिंगूर में होने वाला भूमि अधिग्रहण किसी भी सूरत में जायज नहीं माना जा सकता. ममता बनर्जी 26 दिन तक अपने विरोध प्रदर्शन में डटी रहीं और अंततः टाटा को अपना सिंगूर प्रोजेक्ट बंगाल से हटाकर गुजरात ले जाना पड़ा.

चिटफंड घोटाला मामले में कार्रवाई

इस साल फरवरी में ममता बनर्जी फिर धरने पर बैठीं. केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे राज्य में तख्ता पलट की कोशिश कर रहे हैं. इससे पहले सीबीआई की एक टीम ने चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ की कोशिश की थी लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली थी. इस बार उनकी मांग थी कि मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग बंद हो. ममता ने कहा, ‘वे (केंद्र सरकार) राज्य एजेंसियों समेत सभी एजेंसियों को नियंत्रण में करना चाहते हैं. पीएम आप दिल्ली से इस्तीफा दें और गुजरात वापस चले जाएं.’

चुनावी हिंसा पर ममता की प्रतिक्रिया

ममता बनर्जी का कहना है कि बीजेपी बंगाल में चुनावी हिंसा पर राजनीति कर रही है इसलिए वे उन परिवारों के पक्ष में धरना देंगी जो हिंसा के कारण सड़कों पर आ गए हैं. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की यह प्रतिक्रिया उन मीडिया रपटों के बाद आई है जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के  परिवारों के सदस्यों को विशेष अतिथि के रूप में पीएम मोदी के शपथ समारोह में बुलाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने बीजेपी के राज्य में राजनीतिक हिंसा में पार्टी के 54 सदस्यों के मारे जाने के आरोप को खारिज कर दिया. बनर्जी ने कहा, “आपको एकबार फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए शुभकामनाएं. मैंने संवैधानिक निमंत्रण को स्वीकार करने और शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने का मन बना लिया था.” उन्होंने कहा, “हालांकि पिछले एक घंटे से, मैं मीडिया रपटों को देख रही हूं जिसमें बीजेपी की ओर से बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 54 लोगों के मारे जाने की बात कही गई है. यह पूरी तरह से गलत है. बंगाल में कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई है.”

ममता बनर्जी के धरने से एक बात साफ है कि जब देश-दुनिया पीएम मोदी का शपथ देखेगी तो दूसरी ओर बंगाल में उन्हें ममता बनर्जी का वह विरोधी अवतार भी नजर आएगा, जिसमें वे बीजेपी से लेकर पीएम मोदी और अमित शाह को कोसती नजर आएंगी.

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