*हट में अहाता, लोगों को नजर आता पर अफसरों को नहीं
आम सभा,भोपाल।
भोपाल शहर में एक तरफ सरकार शराब अहाता पूरी तरह बंद कराने का दावा कर रही है वहीं शहर के कटारा हिल्स क्षेत्र में खुलेआम हट बनाकर शराब परोसी जा रही है। इस पर रहवासियों ने आपत्ति दर्ज कराई। इनका दावा है कि शराब के नशे में कुछ लोग क्षेत्र में आधी रात को हंगामा करते हैं, मकानों के आसपास गंदगी भी फैलाते हैं। आपस में लड़ाई भी करने लगते हैं। लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस और जिम्मेदार अधिकारियों से की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। रहवासियों ने इसका पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी खुद उठाई और स्वयं ही स्टिंग करने का प्लान बनाया। इसके बाद उन्होंने हट में शराब परोसने का वीडियो भी बना लिया। ये वीडियो अधिकारियों को उनके नम्बर पर भेजे परंन्तु काई कार्यवाही नहीं की गई। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर भोपाल से जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
*चेम्बर से चार लोग घायल, सुधारने को बजाय रख दिये बेरीकेड्स*
भोपाल शहर में सीएम हाउस से करीब आधा किमी दूरी पर खुला एक चेम्बर दुर्घटनाओं का कारण बनता जा रहा है। हफ्तेभर में यहां चार लोग घायल हो चुके हैं। इसे बंद करने की बजाय बेरीकेड्स रख दिया गया है। यहां से रोजाना बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होती है। पाॅलीटेक्निक चैराहे से भदभदा की ओर करोड़ी लागत से सड़क बनी है। लेकिन एक चेम्बर इस पर भारी पड़ रहा है। यहां बीते कई दिनों से दिक्कत आ रही है। रहवासियों ने बताया कि सुधार के लिये नगर निगम को कई बार शिकायत कर चुके हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त नगर निगम, भोपाल से जांच कराकर सुरक्षात्मक कार्यवाही सुनिश्चित कर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
*जर्जर भवन में संचालित महिला बाल विकास विभाग का दफ्तर*
भोपाल शहर में शासन-प्रशासन को आधे से अधिक हितग्राही मूलक याजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन कराने वाला महिला बाल विकास विभाग का बैरसिया परियोजना अधिकारी का दफ्तर वर्षों से जर्जर हालत में जनपद के मनरेगा भवन में संचालित हो रहा है। इस महिला बाल विकास विभाग के दफ्तर में दो परियोजना अधिकारी बैठकर लगभग 400 आंगनवाड़ी एवं मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को संचालन कर रहे है। जिसमें परियोजना क्रमांक-2 के परियोजना अधिकारी पंकज लाहोटी का कार्यकाल यहा लंबे समय से है। परंतु उन्होंने कभी इस भवन की रंगाई पुताई, रिपेयरिंग सहित स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, मंत्रालय, भोपाल से जांच कराकर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
*दो नवजातों की मौत से अस्पताल में हुआ हंगामा*
विदिशा जिले के जिला अस्पताल में एक बार फिर स्टाॅफ की लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसमें दो महिलाओं के प्रसव के दौरान नवजातों की मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल परिसर में हंगामा किया। जिला अस्तताल में ग्रामीण क्षेत्र की दो गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए भर्ती हुई थी। परिजनों ने नर्स और स्टाॅफ के उपर लापरवाही का आरोप लगाया है। प्रसूताओं के मामले में जिला अस्पताल का यह पहला मामला नहीं है। परिजनों ने जच्चा और बच्चा घर ले जाने से साफ इंकार कर दिया। उनका कहना था कि जब तक लापरवाह नर्स और स्टाॅफ पर कार्यवाही नहीं जाएगी, हम यहीं बैठे रहेंगे। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में सभी सुसंगत दस्तावेजों सहित एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
*एक ही गेट के साथ दौड़ रही है यात्री बस*
राजगढ़ जिले में शासन के निर्देशानुसार प्रशासन, परिवहन विभाग द्वारा यात्री वाहनों की चेकिंग की जा रही है, बावजूद इसके जिले में यातायात नियमों को तांक पर रखते हुए कई जर्जर और मापदंडो को धत्ता बताते हुए वाहन दौड़ रहे हैं। दर्जनों वाहन ऐसे दौड़ रहे हैं जो अनफिट हैं। वाहनों में इमरजेंसी गेट की बात तो दूर एक गेट के अतिरिक्त काई दूसरा गेट तक नहीं है। वाहन बाहर एवं भीतर से बुरी तरह जीर्णशीर्ण अवस्था में होने के बाद भी तेज रफ्तार से दौड़ रहे हैं। यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, राजगढ़ से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
*बड़े डाॅक्टर के पर्चे से रट्टा मारकर बन गए डाॅक्टर*
मंदसौर जिले में जिला अस्पताल सहित तहसील और ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी तरीके से क्लीनिक खोलकर अंग्रेजी उपचार किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह सामने आ रही है कि डाॅ. व्ही एस मिश्र या अन्य किसी बड़े चिकित्सक की पर्ची को देखकर दवाईयां लिखी जा रही है। विशेषकर मौसमी बीमारियों में बड़े डाॅक्टर की पर्ची का रट्टा मारकर उपचार किया जा रहा है। लेकिन फर्जी तरीके से उपचार कर रहे झोलाछाप डाॅक्टरों को इस बात की जानकारी नहीं है कि कितना डोज व्यक्ति को दिया जाना है। इससे कई बार लोगों की जान पर भी बन आती है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीएमएचओ मंदसौर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।