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लोकसभा या विधानसभा? चुनाव जीतने वाले बीजेपी सांसदों को अब 14 दिन में लेना होगा फैसला

नई दिल्ली : चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो गई है. इनमें से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों ही राज्यो में बीजेपी हार गई थी. हालांकि, बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी करने में कामयाब हो गई थी.

इन राज्यों में बीजेपी ने इस बार नया प्रयोग किया था. चार राज्यों में बीजेपी ने लोकसभा सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी टिकट बांटे थे.

चार राज्यों में बीजेपी ने 21 सांसदों को मैदान में उतारा था. 7-7 सांसद राजस्थान और मध्य प्रदेश, 4 छत्तीसगढ़ और 3 तेलंगाना में उतारे थे. इन सांसदों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंग कुलस्ते भी हैं. इन विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों को अगले 14 दिनों के भीतर अपनी एक सीट छोड़नी पड़ेगी.

लोकसभा सदस्य तो विधानसभा की शपथ नहीं ले सकते

चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार को नोटिफेशन जारी करता है. परंपरा के अनुसार लोकसभा सदस्य रहते हुए विधायक पद की शपथ ग्रहण नहीं कर सकते. अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें लोकसभा स्पीकर को इसकी सूचना देनी होगी. अगर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन बार उनकी सदस्यता अपने आप ही खत्म हो सकती है.

लोकसभा नहीं छोड़ी, विधायकी से इस्तीफा दिया तो?

जीते हुए सांसद लोकसभा से इस्तीफा नहीं देते हैं और विधायकी पद छोड़ते हैं तो उनकी सीट पर दोबारा चुनाव कराए जाएंगे. 1996 में रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसकी धारा 151A के मुताबिक खाली हुई सीट पर चुनाव आयोग को 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की कानूनी व्यवस्था तय की गई है.

ये सांसद जिस भी सीट से इस्तीफा देंगे, उस सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराने होंगे. अगर लोकसभा छोड़ते हैं तो लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे और विधानसभा छोड़ते हैं तो विधानसभा सीट पर उपचुनाव होंगे. हालांकि, लोकसभा सीट पर उपचुनाव की गुंजाइश कम है, क्योंकि कुछ ही महीनों में आम चुनाव होने वाले हैं.