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लोकसभा चुनाव: ‘राइट’ के पास गए ‘लेफ्ट’ के वोट, बंगाल ने दिखाया परिवर्तन का मूड

कोलकाता
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान युद्ध के मैदान में तब्‍दील हो गया और पश्चिम बंगाल चुनाव परिणामों में दो खेमों में बंटा नजर आया। बीजेपी ने ममता बनर्जी के गढ़ में उन्‍हें करारी चोट दी और 42 में से 18 सीटों पर कब्‍जा कर लिया। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इस चुनाव परिणाम ने साफ कर दिया है कि वर्ष 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ममता की तृणमूल कांग्रेस पार्टी को मात देने के लिए बीजेपी पूरी तरह से तैयार है।

लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी को 43.28 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी को 40.25 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया। इस चुनाव में टीएमसी का वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 4.28 फीसदी ज्‍यादा है लेकिन तृणमूल विरोधी सारे वोट बीजेपी के पास चले गए और भगवा पार्टी ने चुनाव में अपना अब तक सबसे अच्‍छा प्रदर्शन किया।

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सबसे ज्‍यादा नुकसान सीपीएम के नेतृत्‍व वाले लेफ्ट फ्रंट को हुआ। वर्ष 2014 के 29.9% वोट शेयर की अपेक्षा इस बार उसका वोट शेयर गिरकर 7.5% रह गया। हालत यह हो गई कि सीपीएम की स्‍थापना के करीब 100 साल बाद इस बार पश्चिम बंगाल से वामदलों का एक भी सांसद संसद नहीं जाएगा। करीब 34 साल तक पश्चिम बंगाल में शासन करने वाले वामदल एक भी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सके।

सीपीएम के पतन से बीजेपी को सीधा फायदा 
इससे बेहतर प्रदर्शन राज्‍य में कांग्रेस पार्टी ने किया और उसके नेता अधीर रंजन चौधरी और अबू हासेम खान ने अच्‍छा प्रदर्शन किया। हालांकि उनका वोट शेयर 5.5 प्रतिशत से घटकर 9.6 फीसदी हो गया। यह सीपीएम का पतन ही था जिससे बीजेपी को सीधा फायदा हुआ। टीएमसी विरोधी सारे वोट बीजेपी की झोली में चले गए। इस चुनाव में टीएमसी के वोट जरूर बढ़े लेकिन सीटों की दौड़ में वह वर्ष 2014 के 34 से घटकर 22 पर आ गई।

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हालांकि टीएमसी कोलकाता नॉर्थ सीट बचाने में कामयाब रही जहां बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। इसके अलावा टीएमसी कोलकाता दक्षिण और जादवपुर सीट पर अपने वोट शेयर को बढ़ाने में कामयाब रही। टीएमसी ने यहां पर बंगाली अस्मिता और उनकी सांस्‍कृतिक विरासत का मुद्दा उठाया। अमित शाह के रोड शो के दौरान विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़े जाने को ममता बनर्जी ने जोरशोर से उठाया था। इसका उन्‍हें फायदा मिला।

टीएमसी को राज्‍य के सभी कोनों से झटका 
इन सबके बाद भी टीएमसी को राज्‍य के सभी कोनों से झटका लगा। बीजेपी ने किसान बहुल हुगली और बर्दवान, आदिवासी बहुल पुरुलिया-झारग्राम, मध्‍य बंगाल में टीएमसी के किले को ध्‍वस्‍त कर दिया। टीएमसी को सबसे ज्‍यादा झटका उत्‍तर बंगाल से लगा जहां बीजेपी ने सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की। टीएमसी को जातियों और समुदायों से भी झटका लगा है।

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चुनाव परिणामों को देखकर लग रहा है कि केवल अल्‍पसंख्‍यकों ने खुलकर ममता के समर्थन में वोट किया। ममता ने जिन सीटों पर जीत हासिल की उनमें 20 फीसदी मुसलमान थे। पश्चिमी और उत्‍तर बंगाल में आदिवासियों ने बीजेपी के समर्थन में जमकर वोट किया। एससी के लिए सुरक्षित 10 में से केवल 4 सीटों पर टीएमसी जीत हासिल कर सकी। इस चुनाव परिणाम से अब यह साफ हो गया है कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता को एक सशक्‍त विपक्ष का सामना करना पड़ेगा।

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