श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में रविवार को सुरक्षा बलों और जैश के आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। मुठभेड़ में पुलिस के डीएसपी अमन ठाकुर और सेना का एक जवान शहीद हो गए। शहीद अमन ठाकुर को आज अंतिम विदाई दी गई। बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद घाटी में जैश के कई आतंकी मारे जा चुके हैं। इसके बाद से सेना और पुलिस ने घाटी में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है।
आखिरी वक्त में दिखाई ऐसी बहादुरी, दहशत में आतंकी : जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने शहीद अमन ठाकुर की शहादत के ठीक पहले की कहानी बताई। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में जब सेना के मेजर जख्मी हो कर गिर पड़े थे तो आतंकियों की तरफ से लगातार गोलिया चल रही थी। वह अपनी जान की परवाह किए बगैर मेजर और उनके साथियों को वहां से निकालने के लिए खुद आगे गए। घायल सुरक्षाकर्मियों को वहां से निकाल रहे थे इसी दौरान आतंकियों को एक गोली आकर उन्हें लग गई। इसके बाद भी वो पीछे नहीं हटे। इसी दौरान जैश के तीन आतंकियों के ढेर कर दिया। बाद में अमन ठाकुर को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
गर्दन में लगी थी गोली : एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इलाके में करीब तीन आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद सेना और पुलिस ने संयुक्त अभियान शुरू किया। डीएसपी ठाकुर इसे लीड कर रहे थे, मुठभेड़ के दौरान उनकी गर्दन में गोली लगी। डीजीपी दिलबाग सिंह ने अमन ठाकुर की शहादत पर दुख जताते हुए कहा कि हमने एक बहादुर अफसर खो दिया। आतंकियों के खिलाफ अभियान में बहादुरी के लिए उन्हें शेर-ए-कश्मीर समेत कई सम्मान मिले थे।
2 नौकरियां छोड़कर पुलिस में आए थे ठाकुर : डीएसपी ठाकुर जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा के 2011 बैच के अफसर थे। पुलिस की वर्दी पहनने के लिए उन्होंने सरकारी कॉलेज में लेक्चरर समेत दो नौकरियां ठुकराई थीं। ठाकुर ने जूलॉजी में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की थी। उनके दोस्तों ने बताया कि अमन हमेशा से पुलिस सेवा में जाना चाहते थे।